संयुक्त राष्ट्र, 23 अक्टूबर (भाषा) : भारत ने संयुक्त राष्ट्र के मंच पर अपने खिलाफ एक बार फिर ‘‘झूठा और दुर्भावनापूर्ण दुष्प्रचार’’ करने को लेकर पाकिस्तान पर करारा प्रहार किया है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा की तृतीय समिति की बैठक में पाकिस्तानी प्रतिनिधि द्वारा जम्मू कश्मीर का मुद्दा एक बार फिर उठाये जाने पर संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन के प्रथम सचिव आशीष शर्मा ने पाकिस्तान को दो टूक जवाब देते हुए बृहस्पतिवार को कहा, ‘‘मेरे देश के खिलाफ पाकिस्तान के झूठे और दुर्भावनापूर्ण दुष्प्रचार की मैं निंदा करता हूं। हम ऐसी सभी कोशिशों को पूरी तरह से खारिज करते हैं। ’’
यह समिति सामाजिक, मानवीय और सांस्कृतिक मुद्दे देखती है।
शर्मा ने कहा कि भारत एक बहु-धार्मिक, बहु-जातीय और बहु-भाषी देश है और यह लोकतंत्र, बहुलवाद तथा कानून का शासन के सिद्धांतों से दिशानिर्देशित होता है।
उन्होंने यह भी कहा कि स्पेशल रैपोर्तयुर द्वारा देश के शासन के दायरे में नहीं आने वाले लोगों के बारे में उनकी रिपोर्ट में दिये गये विशेष संदर्भ पर ‘‘हमारा कहना है कि इस मुद्दे को अल्पसंख्यकों के अधिकारों से गलत तरीके से और बार-बार जोड़ा जा रहा है जबकि भारत में अल्पसंख्यक संविधान में प्रदत्त सभी मूल अधिकारों का लाभ उठा रहे हैं।
शर्मा ने कहा कि भारत सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि सभी प्रगतिशील विधान का दायरा केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर तक विस्तारित किया जाए और सामाजिक-आर्थिक विकास की गति बढ़ाई जाए।
उन्होंने कहा, ‘‘वहां के निवासी कहीं अधिक स्वतंत्रता और धार्मिक अधिकारों का लाभ प्राप्त कर रहे हैं…। खासकर महिलाओं को पहले की तुलना में कहीं अधिक व्यापक अधिकार और स्वतंत्रता मिली है। हम विकास के मुद्दे को राजनीतिक रंग देने की किसी भी कोशिश पर कड़ी आपत्ति प्रकट करते हैं।’’
जम्मू कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए पाकिस्तान की प्रतिनिधि ने कहा, ‘‘हम चीन की स्वतंत्रता, क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को कमजोर करने वाले अवांछित बयान को खारिज करते हैं। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम समावेशी विकास, सामाजिक संरक्षण, समान व्यवहार और जातीय एवं धार्मिक अल्पसंख्यकों के संरक्षण किये जाने के चीन के मॉडल की सराहना करते हैं। ’’
ह्यूमन राइट्स वाच ने इस बात का जिक्र किया कि तृतीय समिति में सभी क्षेत्रीय समूहों की 43 सरकारों ने उइग्युर और अन्य तुर्कीक मुस्लिमों की अशांत शिंजियांग प्रांत में घोर मानवाधिकार हनन की कड़ी निंदा की है।
ह्यूमन राइट्स वाच के संयुक्त राष्ट्र निदेशक लुइस चारबोनीयु ने कहा, ‘‘शिंजियांग में चीन के मानवाधिकार हनन करने की वैश्विक निंदा चीनी सरकार के लिए चिंता का विषय होनी चाहिए और उइग्युर तथा अन्य तुर्कीक मुस्लिमों के लिए उम्मीद की किरण होनी चाहिए।’’
पहली बार संयुक्त राष्ट्र क्षेत्रीय समूह ने शिंजियांग में मानवाधिकार हनन रोकने और वहां संयुक्त राष्ट्र जांच कर्ताओं को फौरन जाने देने की मांग की है। साथ ही, संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से शिंजियांग में मानवाधिकारों के खिलाफ कथित अपराधों की औपचारिक जांच के लिए एक अंतराष्ट्रीय आयोग गठित करने की मांग की गई है।
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