नयी दिल्ली, 30 सितंबर (भाषा) : सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने सैन्य आधुनिकीकरण तेज करने के लिए पुराने और अप्रचलित तौर-तरीकों को निर्दयता से छोड़ देने की वकालत करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि औपनिवेशिक काल की एल1 अवधारणा अब प्रासंगिक नहीं रह गयी है जिसके तहत सबसे कम बोली लगाने वाले को ठेका दिया जाता है।
उन्होंने अप्रचलित प्रौद्योगिकियों से छुटकारा पाने में सेना के सामने आ रहीं ‘बड़ी चुनौतियों’ का भी उल्लेख किया और कहा, ‘‘हमारी लंबी खरीद प्रक्रियाएं और नौकरशाही वाले अवरोधक हमें आधुनिक प्रौद्योगिकी प्राप्त करने से रोकेंगे, यह खतरा वास्तविक है।’’
पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री में अपने संबोधन में जनरल नरवणे ने एल1 अवधारणा का जिक्र करते हुए सवाल उठाया कि सशस्त्र बलों की पसंद कीमत से क्यों प्रभावित होनी चाहिए जबकि पैसा घरेलू अर्थव्यवस्था में ही वापस आना है और स्वदेश विकसित सैन्य उपकरणों को खरीदने पर ध्यान है।
उन्होंने कहा, ‘‘रक्षा क्षेत्र में व्यापार सुगम करने पर ध्यान है। उद्योग को भी सक्रियता से सुधार करने होंगे। वर्तमान समय और हमारे भविष्य के दृष्टिकोण से मेल नहीं खाने वाली प्रक्रियाओं को निर्दयता से छोड़ देना चाहिए ताकि आधुनिक सर्वश्रेष्ठ प्रक्रियाएं अपनाई जा सकें।’’
जनरल नरवणे ने कहा, ‘‘एल1 अवधारणा औपनिवेशिक काल की ऐसी व्यवस्था चली आ रही है जो स्वदेशीकरण पर जोर दे रही प्रणाली में अप्रासंगिक हो गयी है।’’
उन्होंने कहा कि व्यवस्थागत परिवर्तन लाने के लिए अनेक काम हुए हैं लेकिन पुरातनकालीन नियम और प्रक्रियाएं अब भी मौजूद है।
सेना प्रमुख ने इजराइल का उदाहरण देते हुए कहा कि छोटे देशों ने भी बड़ी चुनौतियों तथा सीमित संसाधनों के साथ भी एक जीवंत रक्षा तंत्र विकसित किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘इजराइल एक अच्छी मिसाल है। सभी अनुबंध स्थानीय कारोबारियों के साथ किये जाते हैं और रक्षा क्षेत्र में निवेश अर्थव्यवस्था में ही वापस आता है।’’
सेना प्रमुख ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा केवल सशस्त्र बलों का काम नहीं है और इसमें सरकार के पूरे प्रयास शामिल होते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘उतनी ही सच यह बात है कि जंग देशों द्वारा लड़ी जाती हैं, ना कि केवल सेनाओं द्वारा। सरकार ने रक्षा उद्योग के विस्तार के लिहाज से प्रोत्साहन के लिए सकारात्मक माहौल बनाने के नाते कई पहल की हैं।’’
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