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म्यांमा में तख्तापलट के बाद से करीब 15,000 लोग भारतीय सीमा में गए : संयुक्त राष्ट्र प्रमुख


शुक्र, 01 अक्टूबर 2021   |   2 मिनट में पढ़ें

संयुक्त राष्ट्र, एक अक्टूबर (भाषा) : संयुक्त राष्ट्र महासभा में पेश एक रिपोर्ट में महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा है कि एक फरवरी के सैन्य तख्तापलट के बाद से म्यांमा के 15,000 से अधिक लोगों के भारत में सीमा पार करने का अनुमान है। थाईलैंड, चीन और भारत के साथ लगते म्यांमा के ज्यादातर सीमावर्ती क्षेत्रों और राज्यों में सशस्त्र संघर्ष हुए हैं और ये देश इस संकट के क्षेत्रीय प्रभावों को लेकर चिंता व्यक्त कर रहे हैं।

गुतारेस ने ‘म्यांमा में रोहिंग्या मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों की स्थिति’ पर अपनी रिपोर्ट में कहा कि एक फरवरी से पहले म्यांमार में संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में आंतरिक रूप से विस्थापित लगभग 336,000 व्यक्ति थे। महासचिव ने रिपोर्ट में कहा है, ‘‘तख्तापलट की तारीख से संघर्ष और हिंसा के बढ़ने से 220,000 से अधिक लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हो चुके हैं। इसके अलावा, 15,000 से अधिक लोगों के भारत में सीमा पार करने का अनुमान है। इसके अलावा 7000 लोग थाईलैंड में चले गए, जो बाद में म्यांमा लौट आए और आंतरिक रूप से विस्थापित हैं।’’ रिपोर्ट में 15 अगस्त, 2020 से 14 अगस्त, 2021 तक की अवधि का जिक्र है।

भारत, म्यांमा के साथ 1600 किलोमीटर से अधिक की बिना बाड़ वाली और जमीनी सीमा के साथ बंगाल की खाड़ी में समुद्री सीमा को भी साझा करता है। पूर्वोत्तर के चार राज्य अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मणिपुर और मिजोरम म्यांमार के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करते हैं।

गुतारेस ने रिपोर्ट में कहा कि फरवरी के बाद से पूरे देश में तनाव बढ़ गया है। साल 2015 के राष्ट्रव्यापी युद्धविराम समझौते के तहत आने वाले उन क्षेत्रों में भी तनाव बढ़ गया, जहां एक फरवरी से पहले सापेक्ष शांति थी। एक फरवरी को म्यांमार सेना ने तख्तापलट कर आंग सान सू ची, राष्ट्रपति यू विन मिंट समेत देश के शीर्ष नेताओं को हिरासत में ले लिया था।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘थाईलैंड, चीन और भारत के साथ लगती सीमाओं पर ज्यादातर राज्यों और क्षेत्रों में तातमाडॉ, जातीय सशस्त्र संगठनों और नवगठित असैन्य रक्षा बलों के बीच सशस्त्र संघर्ष शुरू हो गए हैं, जिससे इस संकट के क्षेत्रीय प्रभावों और बड़े पैमाने पर संभावित सशस्त्र संघर्ष को लेकर चिंता बढ़ रही है।’’ संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने रिपोर्ट में कहा है कि रोहिंग्या बंगाल की खाड़ी और अंडमान सागर को पार कर जोखिम भरी यात्रा करना जारी रखे हुए हैं।

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