रीगा (लातविया), (एपी) : अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की महज तीन महीने पहले हुई वापसी के बाद नाटो के विदेश मंत्रियों की बुधवार को बैठक हुई ताकि युद्धग्रस्त देश में उसकी 18 वर्ष की मौजूदगी को लेकर तैयार रिपोर्ट पर चर्चा की जा सके।
नाटो ने 2003 में अफगानिस्तान में अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा सहयोग बल की कमान संभाली और इसके दो वर्ष पहले अमेरिका नीत गठबंधन ने देश से तालिबान को हटाने के लिए वहां सैन्य कार्रवाई शुरू की थी। अमेरिका को संदेह था कि अल-कायदा के नेता ओसामा बिन लादेन ने वहां पनाह ले रखी है जिसे बाद में उसने 2011 में पाकिस्तान में मार गिराया गया था।
इसने अफगानिस्तान में तीन लाख सैनिकों की फौज तैयार करने में मदद की लेकिन यह बल भ्रष्टाचार में इतना संलिप्त था कि सैनिकों की असल संख्या के बारे में भी पता नहीं था। बहरहाल, चाहे जितनी भी संख्या रही हो, अगस्त में तालिबान के आक्रमण के समक्ष यह सेना कुछ दिनों तक भी नहीं टिक पाई।
नाटो के महासचिव जेन्स स्टोल्टेनबर्ग ने बैठक में कहा कि सुरक्षा अभियान विफल रहा क्योंकि सैन्य गठबंधन अविकसित देश के निर्माण में सहयोग के कार्यों में शामिल हो गया।
स्टोल्टेनबर्ग ने कहा, ‘‘नाटो, अफगानिस्तान में आतंकवादियों को हम पर फिर से हमला करने से रोकने के लिए था। लेकिन सफलता के बावजूद ‘‘हमें स्वीकार करना चाहिए कि कुछ वर्षों में अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने एक अलग लक्ष्य तय कर दिया जो आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के मूल लक्ष्य से भटक गया।’’
ब्राउन विश्वविद्यालय के आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिका को सुरक्षा पर 2.3 ट्रिलियन डॉलर खर्च के अलावा इसके 2324 सैनिकों और अमेरिकी सहयोगियों के 1144 कर्मियों की जान गई। नाटो अपने अभियान में मारे जाने वालों का आंकड़ा नहीं रखता है।
*****************************************
हम आपको दुनिया भर से बेहतरीन लेख और अपडेट मुहैया कराने के लिए चौबीस घंटे काम करते हैं। आप निर्बाध पढ़ सकें, यह सुनिश्चित करने के लिए पूरी टीम अथक प्रयास करती है। लेकिन इन सब पर पैसा खर्च होता है। कृपया हमारा समर्थन करें ताकि हम वही करते रहें जो हम सबसे अच्छा करते हैं। पढ़ने का आनंद लें
सहयोग करें
POST COMMENTS (0)