यरूशलम, चार जनवरी (भाषा) : इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद पर उन जर्मन और स्विस कंपनियों को धमकी देने व हमला करने का संदेह है जिन्होंने 1980 के दशक में परमाणु हथियार कार्यक्रम में पाकिस्तान की सहायता की थी। यहूदी देश को डर था कि पाकिस्तान के परमाणु संपन्न होने से उसके लिए ‘अस्तित्व का खतरा’ पैदा हो सकता है। एक प्रमुख दैनिक ने मंगलवार को यहां एक रिपोर्ट में यह टिप्पणी की।
यरूशलम पोस्ट समाचार पत्र ने एक प्रमुख स्विस दैनिक की रिपोर्ट का हवाला दिया कि अमेरिका ने ऐसी कंपनियों की गतिविधियों को रोकने की असफल कोशिश की थी। उसके बाद उनमें से तीन कंपनियों पर तीन हमले हुए थे जिससे उन संदेहों को बल मिला कि मोसाद ने हमलों को अंजाम दिया और धमकी जारी की थी।
स्विस दैनिक न्यू जर्चर जीतुंग (एनजेडजेड) ने रविवार को खबर दी कि पाकिस्तान के परमाणु बम से लैस इस्लामिक राज्य बनने के आसार से इजराइल को आशंका थी कि वह उसके अस्तित्व के लिए खतरा बन सकता है।
पाकिस्तान ने 28 मई 1998 को बलूचिस्तान प्रांत में एक साथ पांच भूमिगत परमाणु परीक्षण किए थे। वह पाकिस्तान के परमाणु हथियारों का पहला सार्वजनिक परीक्षण था। उसके बाद उसी साल 30 मई को दूसरा परमाणु परीक्षण किया गया।
एनजेडजेड ने कहा पाकिस्तान और ईरान ने 1980 के दशक में परमाणु हथियार विकसित करने के लिए साथ मिलकर काम किया जिसमें जर्मन और स्विस कंपनियों ने उनके परमाणु कार्यक्रम में सहायता की।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बर्न और वाशिंगटन के अभिलेखागारों के दस्तावेजों से तस्वीर साफ होती है। स्विस इतिहासकार एड्रियन हैनी के हवाले से कहा गया है कि मोसाद स्विस और जर्मन कंपनियों पर हुए बम हमलों में शामिल था। हालांकि, यह साबित करने के लिए कोई ‘ठोस सबूत’ नहीं है कि इजराइली खुफिया एजेंसी ने उन हमलों को अंजाम दिया था।
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