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चीन से पाकिस्तान को सैन्य उपकरणों के निर्यात से सुरक्षा आयामों पर असर पड़ेगा : नौसेना प्रमुख


शुक्र, 26 नवम्बर 2021   |   2 मिनट में पढ़ें

मुंबई, 25 नवंबर (भाषा) : नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि चीन, पाकिस्तान को जहाज और पनडुब्बी जैसे कई सैन्य साजो-सामान का निर्यात कर रहा है और इससे क्षेत्र में सुरक्षा आयामों पर असर पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना को इस घटनाक्रम के लिए तैयार रहना होगा और भारत, पाकिस्तान और चीन के बीच नौसैन्य सहयोग पर करीबी नजर रख रहा है।

एडमिरल सिंह ने कहा, ‘‘चीन से पाकिस्तान को काफी साजो-सामान का निर्यात किया जा रहा है। इससे यहां सुरक्षा के कई आयामों पर असर पड़ेगा। हमें इसके लिए तैयार रहना होगा।’’

वह यहां स्कोर्पीन वर्ग की पनडुब्बी आईएनएस वेला को बेड़े में शामिल करने के बाद मीडिया से बातचीत कर रहे थे। उनसे चीन द्वारा इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान को उसका सबसे बड़ा और आधुनिक युद्धपोत दिए जाने के बारे में सवाल किया गया था।

चाइना स्टेट शिपबिल्डिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (सीएसएससी) द्वारा निर्मित युद्धपोत शंघाई में एक समारोह में पाकिस्तानी नौसेना को सौंपा गया। चीन, पाकिस्तान का एक महत्वपूर्ण रक्षा साझेदार है और उसे अहम सैन्य साजो-सामान मुहैया कराता है। पाकिस्तान का सहाबहार सहयोगी कहा जाने वाला चीन हाल के वर्षों में अरब सागर और हिंद महासागर में अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है।

नौसैना के सूत्रों ने बताया कि पिछले साल कोरोना वायरस महामारी शुरू होने के बाद से भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र में चीनी नौसेना या अनुसंधान जहाजों की कोई गतिविधि नहीं हुई है।

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीनी नौसेना की गतिविधियों पर एक अन्य सवाल के जवाब में एडमिरल सिंह ने कहा कि वे समुद्री डकैती रोधी गश्त के लिए 2008 से अदन की खाड़ी में काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अतीत में भी नियमित अंतराल पर उनकी पनडुब्बियां आती रही हैं। अभी ज्यादातर चीनी गतिविधियां उनके अनुसंधान पोत और उनके सर्वेक्षण पोतों के आसपास केंद्रित है। हम बहुत सावधानीपूर्वक इस पर नजर रख रहे हैं।’’

एडमिरल सिंह ने कहा कि पी8आई समुद्री टोही व पनडुब्बी रोधी गश्ती विमान अमेरिका से पट्टे पर लिए गए सी गार्जियन ड्रोन के साथ भारत के लिए अहम बल रहा है। उन्होंने बताया कि पी8आई और सी गार्जियन लंबे समय तक किसी इलाके में अपनी पहुंच और वहां बने रहने की क्षमता के कारण हिंद महासागर क्षेत्र में करीबी नजर रखते रहे हैं।

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