काहिरा, 25 अक्टूबर (एपी) : सूडान की सेना ने सोमवार को प्रधानमंत्री को गिरफ्तार करने के कुछ घंटों बाद कार्यवाहक सरकार को बर्खास्त कर सत्ता पर कब्जा कर लिया। इसके बाद हजारों लोग इस तख्तापलट के विरोध में सड़कों पर आ गए। सुरक्षा बलों ने भीड़ पर गोली चलाई जिसमें तीन प्रदर्शनकारी मारे गए और 80 लोग घायल हो गए। सूडान में डॉक्टरों की एक समिति ने यह जानकारी दी।
इस तख्तापलट की अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ ने निंदा की है। इस बीच व्हाइट हाउस के प्रवक्ता करीन ज्यां पियरे ने कहा कि अमेरिका सूडान में सेना द्वारा तख्तापलट की चेतावनी देता रहा था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और अन्य अधिकारियों को तत्काल रिहा किया जाना चाहिए। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि बाइडन प्रशासन ने सूडान को दी जाने वाली 70 करोड़ डॉलर की सहायता राशि को निलंबित कर रहा है।
जनरल अब्देल फतह बुरहान ने टेलीविजन पर दिए संदेश में घोषणा की कि देश की सत्तारूढ़ स्वायत्तशासी परिषद् और प्रधानमंत्री अब्दाला हमदोक के नेतृत्व वाली सरकार को भंग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक धड़ों के बीच झगड़े के चलते सेना को हस्तक्षेप करने को बाध्य होना पड़ा लेकिन उन्होंने देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया पूरा करने का संकल्प जताया और कहा कि नयी टेक्नोक्रेट सरकार सूडान में चुनाव कराएगी।
सत्ता पर सेना के कब्जे के विरोध में हजारों लोग राजधानी खार्तूम और इसके पास के शहर ओमडर्मन में सड़कों पर उतरे। ऑनलाइन साझा किए गए वीडियो में दिख रहा है कि प्रदर्शनकारी सड़कें जाम कर रहे हैं और टायरों में आग लगा रहे हैं, वहीं सुरक्षा बल उन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दाग रहे हैं।
प्रदर्शनकारियों को नारे लगाते सुना जा सकता है — ‘‘लोग मजबूत हैं, मजबूत हैं’’ और ‘‘पीछे हटना विकल्प नहीं है।’’ सोशल मीडिया पर वीडियो में दिख रहा है कि काफी संख्या में लोग नील नदी पर बने पुल को पार कर राजधानी पहुंच रहे हैं।
पूर्व निरंकुश शासक उमर अल-बशीर को सत्ता से हटाए जाने के बाद, दो साल से अधिक समय से जारी लोकतंत्रिक सरकार बनाने के प्रयासों के बीच यह खबर सामने आई है।
यह घटनाक्रम तब हुआ है जब बुरहान सत्तारूढ़ अस्थायी परिषद् का नेतृत्व असैन्य सरकार को सौंपने वाले थे। अल-बशीर के सत्ता से हटने के तुरंत बाद से स्वायत्तशासी परिषद् सरकार चला रही थी जिसमें सेना और नागरिक दोनों शामिल थे। उनके बीच सूडान में कई मुद्दों और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अपनाने की गति पर काफी मतभेद थे।
अमेरिका और यूरोपीय संघ ने सोमवार के घटनाक्रम पर चिंता जताई।
‘हॉर्न ऑफ अफ्रीका’ के लिए अमेरिकी विशेष दूत जेफरी फेल्टमैन ने कहा, ‘‘अमेरिका इससे बेहद चिंतित है और उसने संकेत दिया था कि सैन्य तख्तापलट से इस गरीब देश को अमेरिकी सहायता पर असर पड़ेगा।’’ ‘हॉर्न ऑफ अफ्रीका’ में जिबूती, इरिट्रिया, इथियोपिया और सोमालिया शामिल हैं।
‘यूएस ब्यूरो ऑफ अफ्रीकन अफेयर्स’ ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘जैसा हमने बार-बार कहा है, संक्रमणकालीन सरकार में बलपूर्वक किसी भी परिवर्तन से अमेरिकी सहायता पर असर पड़ सकता है।’’
यूरोपीय संघ के विदेश मामलों के प्रमुख जोसेप बोरेल ने सोमवार को ट्वीट किया कि सूडान में सैन्य बलों द्वारा अंतरिम प्रधानमंत्री सहित कई वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों को हिरासत में लेने की खबर ‘‘अत्यधिक चिंतित’’ करने वाली है और वह उत्तर पूर्व अफ्रीकी राष्ट्र में घटनाओं पर नजर रखे हुए हैं।
बोरेल ने लंबे समय तक शासक रहे उमर अल-बशीर के 2019 में सत्ता से हटने के बाद सूडान के निरंकुशता से लोकतंत्र की दिशा में बढ़ने का जिक्र करते हुए लिखा, ‘‘यूरोपीय संघ सभी हितधारकों और क्षेत्रीय भागीदारों से लोकतांत्रिक शासन को वापस लाने का आह्वान करता है।’’
सेना के सत्ता पर संभावित कब्जे की पहली खबर सोमवार की सुबह आनी शुरू हो गई थी। सूचना मंत्रालय ने सुबह पुष्टि की कि प्रधानमंत्री अब्दाला हमदोक को गिरफ्तार कर लिया गया है और उन्हें अज्ञात स्थान की ओर ले जाया गया है। मंत्रालय ने फेसबुक पोस्ट में बताया कि सरकार के कई वरिष्ठ मंत्रियों को भी गिरफ्तार किया गया है। इसने कहा कि उन्हें कहां रखा गया है, इसे बारे में कुछ पता नहीं है।
हमदोक के कार्यालय ने फेसबुक पर बयान जारी कर कहा कि उन्हें और उनकी पत्नी को सोमवार की सुबह गिरफ्तार कर लिया गया और इसने इसे ‘‘पूरी तरह तख्तापलट’’ करार दिया।
सूचना मंत्रालय ने कहा कि सत्ता पर कब्जे के तहत इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं और देश के सरकारी समाचार चैनल ने परंपरागत देशभक्ति संगीत बजाया। सेना ने ओमडर्मन में सूडान के सरकारी टेलिविजन पर धावा बोलकर कई कर्मियों को हिरासत में ले लिया।
यह गिरफ्तारी ऐसे वक्त हुई है जब दो सप्ताह पहले ही सूडान के असैन्य और सैन्य नेताओं के बीच तनाव बढ़ गया था। सितंबर में तख्तापलट की नाकाम कोशिश हुई और अत्यंत रूढ़िवादी इस्लाम समर्थकों को इससे बल मिला जो निरंकुश पूर्व शासक उमर अल-बशीर को व्यापक विरोध प्रदर्शनों के बाद सत्ता से हटाने वालों के खिलाफ सैन्य सरकार चाहते हैं। हाल के दिनों में दोनों खेमे सड़कों पर जोरदार विरोध- प्रदर्शन कर रहे थे।
परिषद् का नेतृत्व करने वाले बुरहान ने पिछले महीने टेलीविजन पर दिए संदेश में कहा था कि सेना सूडान के लोगों द्वारा निर्वाचित सरकार को ही सत्ता सौंपेगी।
ब्रिटेन और मिस्र से 1956 में आजाद होने के बाद सूडान में कई बार तख्तापलट हुए। अल-बशीर ने 1989 में देश की चुनी हुई सरकार को हटाकर सत्ता पर कब्जा किया था।
नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर दो अधिकारियों ने पांच मंत्रियों को हिरासत में लिए जाने की पुष्टि की। अधिकारियों ने बताया कि हिरासत में लिए गए मंत्रियों में उद्योग मंत्री इब्राहिम अल-शेख, सूचना मंत्री हमजा बालौल, स्वायत्तशासी परिषद् के सदस्य मोहम्मद अल-फिकी सुलेमान और प्रधानमंत्री अब्दाला हमदोक के मीडिया सलाहकार फैसल मोहम्मद सालेह शामिल हैं। हमदोक के कार्यालय के आधिकारिक फेसबुक पेज के अनुसार गवर्नर अयमान खालिद को भी गिरफ्तार किया गया है।
अफ्रीकी संघ ने हमदोक सहित सूडान के सभी नेताओं को रिहा करने की अपील की है। अफ्रीकी संघ के प्रमुख मौसा फाकी ने कहा, ‘‘देश को बचाने का एकमात्र रास्ता वार्ता और आम सहमति तथा लोकतांत्रिक हस्तांतरण है।’’
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