मॉस्को, सात फरवरी (एपी) : फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों यूक्रेन के आसपास मौजूद तनाव को कम करने के लिए सोमवार को मॉस्को में वार्ता करेंगे।
यूक्रेन के पास लगभग एक लाख रूसी बलों की तैनाती ने पश्चिमी देशों की चिंताएं बढ़ा दी हैं, जो इसे संभावित आक्रमण की शुरुआत के तौर पर देख रहे हैं। हालांकि, रूस ने अपने पड़ोसी देश पर हमले की किसी भी योजना से इनकार किया है, लेकिन वह अमेरिका और उसके सहयोगियों पर यूक्रेन या किसी अन्य पूर्व-सोवियत देश को नाटो में शामिल होने से रोकने का दबाव बना रहा है। रूस ने क्षेत्र में हथियारों की तैनाती रोकने और पूर्वी यूरोप से नाटो बलों को वापस बुलाने की भी मांग की है। अमेरिका और नाटो ने रूस की मांगों को खारिज कर दिया है।
मैक्रों मंगलवार को यूक्रेन के दौरे पर रवाना होने से पहले सोमवार को क्रेमलिन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करेंगे। फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने बीते हफ्ते कहा था कि ‘रूस से वार्ता करना और क्षेत्र में तनाव में कमी लाना’ उनकी प्राथमिकता है।
मॉस्को जाने से पहले मैक्रों ने रविवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से फोन पर बातचीत की थी। व्हाइट हाउस की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, ‘दोनों नेताओं ने यूक्रेन की सीमाओं पर रूस की सैन्य तैनाती के जवाब में चल रहे राजनयिक और निवारक प्रयासों पर चर्चा की तथा यूक्रेन की संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता के लिए अपने समर्थन की पुष्टि की।’
उच्च स्तरीय कूटनीति को जारी रखते हुए जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज 14-15 फरवरी को कीव और मॉस्को की यात्रा करेंगे।
2015 में फ्रांस और जर्मनी ने यूक्रेनी बलों व रूस समर्थित अलगाववादियों के बीच संघर्ष खत्म करने के मकसद से पूर्वी यूक्रेन में एक शांति समझौता कराने में मदद की थी। यह संघर्ष 2014 में यूक्रेन के क्रीमिया प्रायद्वीप पर रूस के कब्जे के बाद शुरू हुआ था।
बेलारूस की राजधानी मिन्स्क में हुए समझौते ने बड़े पैमाने पर जारी लड़ाई को रोकने में मदद की थी, लेकिन दोनों पक्षों के बीच एक राजनीतिक समझौता कराने के प्रयास ठहर गए हैं और यूक्रेन के पूर्वी औद्योगिक गढ़ ‘डोनबास’ में तनावपूर्ण सीमा पर झड़पें लगातार जारी हैं।
रूस, यूक्रेन, फ्रांस और जर्मनी के नेता आखिरी बार दिसंबर 2019 में तथाकथित नॉरमैंडी प्रारूप शिखर सम्मेलन में पेरिस में मिले थे, लेकिन वे विवादित मुद्दों को हल करने में नाकाम रहे।
रूस की सैन्य तैनाती पर जारी तनाव के बीच चार देशों के राष्ट्रपति के सलाहकारों ने 26 जनवरी को पेरिस में वार्ता की, लेकिन इसमें कोई स्पष्ट प्रगति नहीं हुई और दो हफ्ते में बर्लिन में एक बार फिर से मिलने की सहमति बनी।
यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमिर जेलेंस्की ने एक और चार-पक्षीय नॉरमैंडी शिखर सम्मेलन पर जोर दिया है, लेकिन क्रेमलिन ने कहा है कि नेताओं की बैठक तभी सार्थक होगी, जब संबंधित पक्ष विद्रोह वाले पूर्वी इलाके को विशेष दर्जा देने से जुड़े अगले कदमों पर सहमत हों।
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