नयी दिल्ली, 27 अक्टूबर (भाषा) : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि जैसे-जैसे वैश्वीकरण का विस्तार होगा और यह अधिक विविधतापूर्ण होगा इससे एक-दूसरे पर निर्भरता और इससे जुड़े व्यापक प्रभाव को बढ़ावा मिलेगा जो कि हिन्द प्रशांत क्षेत्र अभिव्यक्त करता है।
हिन्द प्रशांत क्षेत्रीय वार्ता सम्मेलन को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा, ‘‘ ऐसे में हिन्द प्रशांत को नकारना वैश्वीकरण को नजरंदाज करने के समान है।’’
विदेश मंत्री ने कहा कि हिन्द प्रशांत ‘जीवन की वास्तविकता’ है और इसलिये एकरूपता का प्रश्न वास्तविकता से अधिक अनुभूति है।
उन्होंने कहा, ‘‘ यहां तक जिनकी जाहिर तौर पर आपत्तियां हैं, वे भी ऐसे व्यवहार एवं काम करते हैं जो हिन्द प्रशांत को सत्यापित करते हैं । और जैसा कि आप सभी जानते हैं कि यह सत्यापन इसकी निर्बाधता और अंतर प्रवेश से जुड़ा है। ’’
जयशंकर ने कहा कि सच्चाई यह है कि सभी अवगत हैं कि यह रंगशालाओं का सम्मिश्रण है जो पूर्व में अस्वभाविक तौर पर अलग था ।
उन्होंने कहा कि राजनीति ने कदाचित इसे स्वीकार करने में कुछ अनिच्छा की स्थिति पैदा की ।
उन्होंने हिन्द प्रशांत को लेकर अलग अलग विचारों का भी उल्लेख किया ।
विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘ इसका जवाब शायद सोच में है और संभवत: उनकी असुरक्षा है।’’
जयशंकर ने कहा कि अगर कोई शीत युद्ध के विचार में उतर कर देखे और उसका लाभ लें तब यह आसानी से स्वीकार नहीं किया जा सकता है कि दूसरे दुनिया को काफी अलग तरीके से देखेंगे ।
उन्होंने कहा कि खासतौर पर अगर उद्देश्य साझी अच्छाई को हासिल करने की व्यापक, अधिक सहयोगी तथा अधिक लोकतांत्रिक पहल का हो ।
विदेश मंत्री ने समन्वित उत्पादन से दुनिया को खतरे से मुक्त करने और नाजुक आपूर्ति श्रृंखला के बारे में चर्चा की ।
उन्होंने कहा कि तब हिन्द प्रशांत से क्या उम्मीदें होंगी ?
उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा इस बात की संभावना है कि सरकारों की नीतियां जो मनोवैज्ञानिक सीमाओं को पार करती हैं, सहयोग के अधिक अवसर पैदा करती हैं।
जयशंकर ने कहा कि कोविड बाद के काल में यह अधिक महत्वपूर्ण है।
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