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भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत का दूसरे चरण का समुद्री परीक्षण शुरू


सोम, 25 अक्टूबर 2021   |   < 1 मिनट में पढ़ें

नयी दिल्ली, 24 अक्टूबर (भाषा) : भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत (आईएसी) विक्रांत के दूसरे चरण का समुद्री परीक्षण रविवार को शुरू हुआ। योजना के तहत अगले साल अगस्त में इसे नौसेना में शामिल किया जाना है।

भारत में बना अबतक का सबसे बड़ा और जटिल युद्धपोत करीब 40 हजार टन वजनी है और अगस्त महीने में इसने सफलतापूर्वक पांच दिन की समुद्री यात्रा पूरी की थी। पहले चरण के परीक्षण के बाद नौसेना ने कहा कि युद्धपोत पर लगी प्रणालियों का प्रदर्शन संतोषजनक पाया गया।

अधिकारी ने बताया,‘‘स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत विक्रांत रविवार को दूसरे चरण के समुद्री परीक्षण के लिए कोच्चि से रवाना हुआ।’’

इस युद्धपोत के निर्माण पर करीब 23 हजार करोड़ रुपये की लागत आई है और इसके निर्माण के साथ भारत उन देशों की सूची में शामिल हो गया है जो स्वयं आधुनिक विमानवाहक युद्धपोतों का निर्माण कर सकते हैं।

इस विमानवाहक पोत से मिग-29के लड़ाकू विमान, कामोव-31 हेलीकॉप्टर और एमएच-60आर बहुद्देशीय हेलीकॉप्टर का परिचालन हो सकता है। इसमें करीब 1,700 लोगों के रहने के लिए करीब 2,300 कूपे बनाए गए हैं जिनमें महिला अधिकारियों के रुकने के लिए खास कूपे शामिल हैं।

अधिकारियों ने बताया कि विक्रांत अधिकतम करीब 28 नॉटिकल मील की रफ्तार से चल सकता है जबकि सामान्य गति 18 नॉटिकल मील है एवं 7,500 नॉटिकल तक का सफर कर सकता है। आईएसी 262 मीटर लंबा, 62 मीटर चौड़ा और 59 मीटर ऊंचा है। इसका निर्माण वर्ष 2009 में कोचिन शिपयार्ड लिमिटेड ने शुरू हुआ था।

भारत के पास इस समय एकमात्र विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य सेवा में है।

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