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भारत की क्षेत्रीय साझेदार के तौर पर भूमिका से अफगानिस्तान में सकारात्मक असर संभव: अमेरिकी अधिकारी


रवि, 12 सितम्बर 2021   |   3 मिनट में पढ़ें

लंदन, 11 सितंबर (भाषा) : अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि भारत की अहम क्षेत्रीय किरदार के तौर पर भूमिका है, अमेरिका के साझेदार और अफगानिस्तान में निवेश के इतिहास का उस देश के भविष्य पर सकारात्मक असर पड़ सकता है जो अब तालिबान के कब्जे में है।

अमेरिका पर हुए 9/11 के हमले की 20वीं बरसी से पहले ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में जेड तरार ने राष्ट्रपति जो बाइडन के संदेश को दोहाराया जिसमें कहा गया था कि अफगानिस्तान में युद्ध का मुख्य लक्ष्य अलकायदा के नेटवर्क का खत्मा था जिसे हासिल किया जा चुका है। उल्लेखनीय है कि अलकायदा ने 11 सितंबर 2001 को अमेरिका पर हुए हमले को अंजाम दिया था।

उन्होंने कहा कि अब ध्यान भारत जैसे ‘समान विचार वाले साझेदारों और लोकतंत्रों’’ के साथ मिलकर अफगानिस्तान की जनता की भलाई के लिए दूसरे अध्याय पर है।

लंदन में अमेरिकी विदेश मंत्रालय के हिंदी/उर्दू प्रवक्ता तरार ने कहा,‘‘ भारत को क्षेत्रीय साझेदार होने के नाते भूमिका निभानी है और मानवीय भूमिका और पूर्ववर्ती निवेश में भूमिका एक तथ्य है जिसका सकारात्मक असर अफगानिस्तान के भविष्य पर पड़ सकता है।’’

उन्होंने कहा,‘‘ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के निर्वाचित सदस्य के नाते भारत को भूमिका निभानी है। हम भारत के साथ इस मुद्दे पर न्यूयॉर्क, नयी दिल्ली और वाशिंगटन में करीब से परामर्श कर रहे हैं।’’

उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने 31 अगस्त को निर्धारित समय से पहले ही अफगानिस्तान से अपने सैनिकों की वापसी पूरी कर ली और इससे पहले ‘अभूतपूर्व तरीके से चलाए अभियान के तहत करीब एक लाख लोगों को विमानों के जरिये काबुल से बाहर निकाला।

सैनिकों की वापसी के समय को लेकर अंतररष्ट्रीय स्तर पर उठ रहे सवालों के जवाब में तरार ने कहा कि यह समय अमेरिका के लिए युद्ध समाप्त करने का था।

उन्होंने कहा,‘‘मेरा मानना है कि हमें स्पष्ट होना चाहिए कि अफगानिस्तान में अमेरिका का लक्ष्य अलकायदा का खात्मा करना था। हमने कई साल पहले ही अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लिया था। हमने गत 20 सालों में खरबों डॉलर खर्च कर सैकड़ों-हजारों अफगान सैनिकों को भी प्रशिक्षित किया। यह वह समय था जब अफगानिस्तान में युद्ध को समाप्त किया जाए और अमेरिका एवं गठबंधन सेनाओं को वहां से वापस बुलाया जाए।’’

तरार ने कहा,‘‘जैसा राष्ट्रपति बाइडन ने कहा कि कभी ऐसा करने के लिए सटीक समय नहीं आएगा। हमारे सामने कभी जमीन पर आदर्श स्थिति नहीं होगी।’’ उन्होंने इसके साथ ही कहा कि राष्ट्रपति व्हाइट हाउस में आने वाले अपने उत्तराधिकारी को युद्ध की विरासत नहीं सौंपने को प्रतिबद्ध थे।

भविष्य में तालिबान के साथ काम करने के सवाल पर अधिकारी ने कहा कि अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी क्योंकि अमेरिका चाहता है कि तालिबान अपने वादों को पूरा करे। अमेरिका ने तालिबान को आतंकवादी संगठनों की सूची में शामिल किया है।

तरार ने कहा, ‘‘इस समय, कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी कि हम तालिबान के साथ काम करेंगे या नहीं। हमें लंबे समय तक देखना होगा। हमारे हित आईएसआईएस-के (इस्लामिक स्टेट-खोरासान) के मुद्दे पर जुडे हैं। क्या हम साथ काम करेंगे या नहीं, यह कहना मुश्किल है। मैं रेखांकित करना चाहता हूं कि तालिबान अमेरिकी कानून के तहत आतंकवादी संगठन है और विदेश मंत्रालय को तालिबान से निपटने के लिए सभी संघीय कानूनों का अनुपालन करना होगा।’’

क्षेत्रीय खिलाड़ी के तौर पर पाकिस्तान की भूमिका के संदर्भ में अमेरिकी अधिकारी ने रेखांकित किया कि उस देश की ‘‘अफगानिस्तान में स्थिरता और सुरक्षा को प्रोत्साहित’’ करने में भूमिका है।

सैनिकों की वापसी के बाद क्षेत्र में आतंकवाद के खतरे के सवाल पर तरार ने दोहराया कि अमेरिका अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने का अधिकार सुरक्षित रखता है। उन्होंने कहा कि अब ध्यान अगले दशक और उससे आगे आतंकी खतरे पर होगा।

तरार ने कहा, ‘‘ अमेरिका अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के खतरे को बहुत गंभीरता से लेता है और जहां भी हम आतंकवादी नेटवर्क पाएंगे उसे नष्ट करने का अधिकार सुरक्षित रखते हैं। सच्चाई यह है कि इस समय जिस खतरे का हम सामना कर रहे हैं वह अफगानिस्तान से नहीं बल्कि अफ्रीका से पैदा हो रही है।

उन्होंने कहा,‘‘जिन खतरों पर हम नजर रखे रहे हैं वे 2001 के खतरे नहीं है बल्कि 2021 के खतरे हैं। हम यह देख रहे हैं कि अगले 10 साल में क्या खतरे हो सकते हैं। केवल अफगानिस्तान को देखना और दुनिया के अन्य खतरे को नजरअंदाज करना गलती होगी।’’

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