नयी दिल्ली, 4 दिसंबर (भाषा) : वैश्विक परिदृश्य की जानकारी देने वाली कंपनी ऑक्सफर्ड इकोनॉमिक्स का मानना है कि भारत के लिए अपने घोषित आर्थिक लक्ष्यों से कोई समझौता किए बगैर नए जलवायु लक्ष्यों को हासिल कर पाना मुश्किल होगा।
ऑक्सफर्ड इकोनॉमिक्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत की वर्ष 2070 तक शुद्ध रूप से शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने की प्रतिबद्धता सराहनीय है लेकिन इसके लिए बताई गई राह बेहद महत्वाकांक्षी है।
इसके मुताबिक, ‘‘भारत के लिए नए जलवायु लक्ष्यों को हासिल कर पाना अपने घोषित आर्थिक लक्ष्यों में बड़ा समझौता किए बगैर मुश्किल होगा। दरअसल यह संभव नहीं हो सकता है।’ भारत ने वर्ष 2024-25 तक पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का एक लक्ष्य रखा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने ग्लास्गो में आयोजित जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में घोषणा की थी कि भारत वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करना चाहता है।
हालांकि ऑक्सफर्ड इकोनॉमिक्स को लगता है कि जलवायु लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत को भारी निवेश करना होगा। अध्ययनों के मुताबिक, 2020 और 2030 के दशकों में भारत को हर साल करीब 200 अरब डॉलर का निवेश करना होगा तभी भारत 2070 तक शुद्ध रूप से शून्य उत्सर्जक बन पाएगा।
ऑक्सफर्ड इकोनॉमिक्स ने भारत के लिए इस समयसीमा में संशोधन की जरूरत बताई है। उसने कहा, ‘हम अपने उस अनुमान पर कायम हैं कि 2040 के दशक के अंतिम वर्षों में भारत का कार्बन उत्सर्जन चरम पर होगा।’
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