नयी दिल्ली, एक अक्टूबर (भाषा) : भारत और अमेरिका ने अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों पर व्यापक सहयोग के लिए औद्योगिक सुरक्षा पर एक संयुक्त कार्य समूह का गठन करने का फैसला किया है।
अधिकारियों ने बताया कि समूह के गठन का सैद्धांतिक फैसला शुक्रवार को संपन्न हुए पांच दिवसीय भारत-अमेरिका औद्योगिक सुरक्षा समझौता (आईएसए) सम्मेलन में किया गया। दिल्ली में आयोजित सम्मेलन का उद्देश्य दोनों देशों के रक्षा उद्योगों के बीच गोपनीय सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए एक प्रोटोकॉल विकसित करना है।
प्रमुख अमेरिकी रक्षा कंपनियां भारत के निजी क्षेत्र के साथ साझा की जाने वाली महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों और गोपनीय रक्षा सूचनाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक ढांचे पर जोर दे रही थीं। दोनों देशों के रक्षा उद्योगों के बीच गोपनीय सूचनाओं के आदान-प्रदान की सुविधा के लिए दिसंबर 2019 में आईएसए पर हस्ताक्षर किए गए थे।
रक्षा मंत्रालय ने कहा, ‘‘सम्मेलन के दौरान, दोनों पक्ष भारत-अमेरिका औद्योगिक सुरक्षा संयुक्त कार्य समूह की स्थापना के लिए सैद्धांतिक रूप से सहमत हुए।’’ मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘यह समूह नीतियों और प्रक्रियाओं पर काम करने के लिए समय-समय पर बैठक करेगा, जो रक्षा उद्योगों को अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों पर सहयोग करने की अनुमति देगा।’’
आईएसए के क्रियान्वयन का खाका बनाने के लिए आयोजित शिखर सम्मेलन की सह-अध्यक्षता क्रमशः भारतीय और अमेरिकी पक्षों से नामित सुरक्षा प्राधिकारी (डीएसए), अनुराग बाजपेयी और डेविड पॉल बगनाती ने की। मंत्रालय ने कहा, ‘‘खाका तैयार करने के लिए डीएसए ने भारतीय रक्षा उद्योग का भी दौरा किया।’’
पिछले कुछ वर्षों में भारत-अमेरिका रक्षा संबंध मजबूत हुए हैं। जून 2016 में अमेरिका ने भारत को ‘‘प्रमुख रक्षा भागीदार’’ घोषित किया था। दोनों देशों ने पिछले कुछ वर्षों में महत्वपूर्ण रक्षा और सुरक्षा समझौते भी किए हैं, जिसमें 2016 में लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (एलईएमओए) भी शामिल है। इस समझौते के तहत दोनों देशों की सेनाओं को आपूर्ति के संदर्भ में मरम्मत कार्यों के लिए एक-दूसरे के ठिकानों का उपयोग करने की अनुमति है।
दोनों देशों ने 2018 में कॉमकासा (संचार अनुकूलता और सुरक्षा समझौते) पर भी हस्ताक्षर किए, जो दोनों सेनाओं के बीच सहयोग का रास्ता और अमेरिका से भारत को उच्च प्रौद्योगिकी की बिक्री का प्रावधान करता है।
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