• 22 November, 2024
Foreign Affairs, Geopolitics & National Security
MENU

भारत ने गैर स्थायी सदस्य के तौर पर यूएनएससी में महत्वपूर्ण ‘संतुलन’ बनाया


बुध, 29 दिसम्बर 2021   |   3 मिनट में पढ़ें

संयुक्त राष्ट्र, 29 दिसंबर (भाषा) :संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में गैर स्थायी सदस्य के रूप में जनवरी 2021 में भारत के दो साल के कार्यकाल की शुरुआत के साथ विश्व निकाय में नयी दिल्ली की मौजूदगी से ‘महत्वपूर्ण संतुलन’ बना। इस दौरान, संयुक्त राष्ट्र की इस शक्तिशाली इकाई को अफगानिस्तान समेत अन्य भू राजनीतिक संकट के मुद्दों का भी सामना करना पड़ा।

दुनिया में कोविड-19 के जारी प्रकोप के बीच भारत ने 15 सदस्यीय परिषद में अपने कार्यकाल की शुरुआत की। देशों की अर्थव्यवस्थाएं जैसे-जैसे पटरी पर आने लगीं और सीमाएं खोलने की शुरुआत हुई, कोरोना वायरस के ओमीक्रोन स्वरूप ने दस्तक दे दी।

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतेरेस ने हाल में वर्ष के अपने आखिरी संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘मैं काफी चिंतित हूं। अगर चीजें ठीक नहीं हुईं और तेजी से बेहतर नहीं हुईं तो आगे हमें कठिन समय का सामना करना होगा। कोविड-19 जाने वाला नहीं है। यह स्पष्ट हो गया है कि केवल टीके से महामारी नहीं खत्म होने वाली।’’

यूएनएससी में अस्थायी सदस्य के तौर पर दो साल के कार्यकाल के पहले वर्ष में भारत ने पांच स्थायी सदस्यों वाले इस वैश्विक निकाय में जरूरी संतुलन प्रदान किया। भारत ने यह भी सुनिश्चित किया है कि किसी मुद्दे पर परिषद का ध्रुवीकरण सुविचारित दृष्टिकोण अपनाने की क्षमता को प्रभावित नहीं करे। सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र के अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परोक्ष रूप से पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि आतंकवाद का इस्तेमाल राजनीतिक औजार के तौर पर करने वाले ‘‘प्रतिगामी सोच’’ के देशों को यह समझ लेना चाहिए कि यह उनके लिए भी उतना ही बड़ा खतरा है।

प्रधानमंत्री ने यह भी सुनिश्चित करने का अनुरोध किया कि कोई भी देश अफगानिस्तान की बदहाल स्थिति का फायदा नहीं उठाए और उसका इस्तेमाल अपने स्वार्थ के लिए नहीं करे। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘अगर संयुक्त राष्ट्र को खुद को प्रासंगिक बनाए रखना है तो उसे अपनी प्रभावशीलता में सुधार करना होगा, अपनी विश्वसनीयता बढ़ानी होगी।’’ साथ ही कहा कि आज संयुक्त राष्ट्र में कई सवाल उठाए जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमने इसे जलवायु और कोविड-19 संकट के दौरान देखा है। दुनिया के कई हिस्सों में जारी छद्म युद्ध-आतंकवाद और अफगानिस्तान के संकट ने इन सवालों को गहरा कर दिया है।’’ प्रधानमंत्री मोदी ने ‘‘वैश्विक व्यवस्था, वैश्विक कानूनों और वैश्विक मूल्यों की सुरक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र को लगातार मजबूत करने’’ का आह्वान किया।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी. एस. तिरुमूर्ति ने ‘पीटीआई’ से कहा था, ‘‘हम सुरक्षा परिषद में एक बहुत ही महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं, जहां हम न केवल अभूतपूर्व कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहे हैं, बल्कि सुरक्षा परिषद और बाहर दोनों जगह वैचारिक अंतराल से भी जूझ रहे हैं, जिन्हें व्यक्तिगत पहल के बजाय अधिक सामूहिक कार्रवाई के माध्यम से पाटने की आवश्यकता है।’’

भारत ने कहा कि अफगानिस्तान के पड़ोसी देश के रूप में, देश की स्थिति उसके लिए ‘‘बड़ी चिंता’’ की है और उम्मीद है कि एक समावेशी शासन होगा, जो अफगान समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व करेगा।

भारत की अध्यक्षता में यूएनएससी ने एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया जिसमें मांग की गई कि अफगानिस्तान के क्षेत्र का उपयोग किसी भी देश को धमकी देने या आतंकवादियों को शरण देने के लिए नहीं किया जाना चाहिए और यह उम्मीद करता है कि तालिबान, देश के लोगों और विदेशी नागरिकों की निकासी के लिए प्रतिबद्धताओं का ‘‘पालन’’ करेगा।

भारत की अध्यक्षता में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी सर्वसम्मति से शांति स्थापना के मुद्दे पर दो महत्वपूर्ण दस्तावेजों को अपनाया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रेखांकित किया कि जब संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षकों की सुरक्षा की बात आती है तो भारत बात करने के बजाए काम करने में विश्वास करता है। जयशंकर ने अगस्त में सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष के रूप में ‘रक्षकों की रक्षा’ विषय के तहत शांति स्थापना पर एक खुली बहस की मेजबानी की थी।

बैठक के दौरान, ‘संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षकों के खिलाफ अपराधों की जवाबदेही’ के साथ-साथ ‘शांति व्यवस्था के लिए प्रौद्योगिकी’ पर अध्यक्षीय वक्तव्य को अपनाया गया।

भारत के नेतृत्व में यूएनएससी ने अगस्त में समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र संधि (यूएनसीएलओएस) की सर्वोच्चता को रेखांकित किया, जो समुद्र में अवैध गतिविधियों का मुकाबला करने सहित महासागरों में गतिविधियों पर लागू कानूनी ढांचे को निर्धारित करता है। इस प्रस्ताव के जरिए चीन को एक स्पष्ट संदेश दिया गया। यह अत्यधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि यह समुद्री सुरक्षा के मुद्दे पर यूएनएससी द्वारा अब तक का पहला निष्कर्ष दस्तावेज है।

*************************************************************************




चाणक्य फोरम आपके लिए प्रस्तुत है। हमारे चैनल से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें (@ChanakyaForum) और नई सूचनाओं और लेखों से अपडेट रहें।

जरूरी

हम आपको दुनिया भर से बेहतरीन लेख और अपडेट मुहैया कराने के लिए चौबीस घंटे काम करते हैं। आप निर्बाध पढ़ सकें, यह सुनिश्चित करने के लिए पूरी टीम अथक प्रयास करती है। लेकिन इन सब पर पैसा खर्च होता है। कृपया हमारा समर्थन करें ताकि हम वही करते रहें जो हम सबसे अच्छा करते हैं। पढ़ने का आनंद लें

सहयोग करें
Or
9289230333
Or

POST COMMENTS (0)

Leave a Comment

प्रदर्शित लेख