संयुक्त राष्ट्र, 25 सितंबर (भाषा) : भारत ने ऊर्जा परिवर्तन के समावेशी और न्यायसंगत होने पर जोर देते हुए कहा कि सभी समस्याओं का एक समाधान संभव नहीं, क्योंकि ऐसे में विभिन्न देशों की राष्ट्रीय परिस्थितियों और मिश्रित ईंधन के प्रति पूर्ण संवेदनशीलता के महत्व को नजरअंदाज किया जाता है।
केंद्रीय बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने 76वें महासभा सत्र के मौके पर शुक्रवार को आयोजित संयुक्त राष्ट्र की ऊर्जा पर उच्चस्तरीय वार्ता 2021 में एक वीडियो बयान में कहा कि भारत ने 2030 तक 450 गीगावॉट (जीडब्ल्यू) अक्षय ऊर्जा क्षमता का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है।
उन्होंने कहा कि भारत राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन शुरू करने के लिए पूरी तरह तैयार है, ताकि अर्थव्यवस्था को कार्बन मुक्त किया जा सके।
हरित हाइड्रोजन जीवाश्म ईंधन के बजाय नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करके बनाया जाता है। इसमें विनिर्माण, परिवहन के लिए स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करने की क्षमता है और इसका एकमात्र सह-उत्पाद पानी है।
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