कोलकाता, 26 जुलाई (भाषा) पूर्व थलसेना प्रमुख जनरल शंकर रॉयचौधरी ने कहा है कि भारत में रणनीतिक योजनाकारों को थिएटर कमान ढांचा लागू करने से पहले एक उपयुक्त प्रारूप पर काम करने की जरूरत है। तीनों सेनाओं के संयुक्त कमान को थिएटर कमान या एकीकृत कमान कहा जाता है।
पूर्व थलसेना प्रमुख ने कहा कि भारत को भी चीन के समान अपनी ताकत बढ़ाने की जरूरत है और पड़ोसी देश के साथ 1962 के युद्ध से ‘अति-प्रभावित’ नहीं होना चाहिए। उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘हमें तीनों सेवाओं के अंदर विचार-विमर्श के जरिए थिएटर कमान ढांचे के लिए उपयुक्त प्रारूप तैयार करने की जरूरत है… संरचना के संबंध में स्पष्टता की जरूरत है।’
उन्होंने कहा, ‘उदाहरण के लिए, समुद्र के पास प्रायद्वीपीय भारत के लिए थिएटर कमान ढांचा उत्तरी भारत से अलग होना चाहिए जो चारों ओर भूमि से घिरा हुआ है। ’’
जनरल रायचौधरी अभी एक रणनीतिक विचार मंच रिसर्च सेंटर फॉर ईस्टर्न एंड नॉर्थ-ईस्टर्न स्टडीज के प्रमुख हैं। भारत तीनों सेनाओं – थल सेना, नौसेना और वायु सेना के बीच बेहतर तालमेल के लिए एक थिएटर कमान संरचना को लागू करना चाहता है जिसमें करीब 17 अलग-अलग कमानों के बजाय चार से पांच एकीकृत कमान होंगे।
जनरल रॉयचौधरी ने बताया कि अमेरिका और चीन सहित कई देशों ने थिएटर कमान अवधारणा को लागू किया है लेकिन जमीनी स्तर पर रिपोर्ट हमेशा अनुकूल नहीं रही है। उन्होंने कहा कि प्रणालियों का अध्ययन करने और यह निर्धारित करने की आवश्यकता है कि भारतीय परिस्थितियों के अनुरूप क्या उपयुक्त होगा।
उन्होंने कहा कि भारत को न केवल आतंकी समूहों से संभावित खतरों का सामना करने के लिए बल्कि चीन के मद्देनजर भी सैन्य शक्ति का निर्माण करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ‘हमें कोशिश करनी होगी और उस स्तर को प्राप्त करना होगा जिसे चीन ने हासिल किया है।’
चीन के साथ 1962 के युद्ध के बारे में पूर्व थलसेना प्रमुख ने कहा कि देश को अपनी रणनीतिक सोच को ‘1962 के हमारे प्रदर्शन से अधिक प्रभावित’ नहीं होने देना चाहिए।
भाषा अविनाश नीरज
नीरज
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