नयी दिल्ली, 27 अक्टूबर (भाषा) : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को कहा कि आतंकवाद, मादक पदार्थो की तस्करी, समुद्री डकैती और जलवायु परिवर्तन जैसे गंभीर खतरों के बढ़ने के कारण ऐसे समय हिन्द प्रशांत क्षेत्र में नयी चुनौतियां उत्पन्न हो गई हैं जब संसाधनों को लेकर प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है।
हिन्द प्रशांत क्षेत्र पर एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि इस क्षेत्र में उत्पन्न चुनौतियों की प्रकृति के विभिन्न देशों पर व्यापक प्रभाव हैं जिसके लिये सहयोगात्मक प्रतिक्रिया की जरूरत है।
रक्षा मंत्री ने जोर देकर कहा कि भारत नियम आधारति नौवहन व्यवस्था को बनाये रखते हुए अपने जल क्षेत्र और विशिष्ठ आर्थिक क्षेत्र में वैध अधिकारों एवं हितों की सुरक्षा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा, ‘‘ संसाधनों को लेकर प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है। इसके साथ ही आतंकवाद, मादक पदार्थो की तस्करी, समुद्री डकैती और जलवायु परिवर्तन जैसे गंभीर खतरों के बढ़ने के कारण ऐसे समय हिन्द प्रशांत क्षेत्र में नयी चुनौतियां उत्पन्न हो गई हैं।’’
सिंह ने कहा कि ऐसे में नौवहन से जुड़े मुद्दों पर हितों को लेकर एकरूपता और उद्देश्यों की समानता तलाश करने की जरूरत है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि समृद्धि के स्थिर मार्ग को बनाये रखने के लिये जरूरी है कि इस क्षेत्र की नौवहन क्षमता को प्रभावी, सहयोगी और सहकारी रूप से उपयोग किया जाए ।
उन्होंने कहा, ‘‘ भारत सभी देशों के वैध अधिकारों का सम्मान करने के लिए प्रतिबद्ध है जिसका उल्लेख समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र संधि 1982 में किया गया है। ’’
राजनाथ सिंह की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब हिन्द प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते विस्तारवादी रूख को लेकर वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ रही है और इसके कारण कई देशों को इन चुनौतियों से निपटने के लिये अपनी रणनीति बनाने को मजबूर होना पड़ा है।
रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में इस बात की भी चर्चा की किस प्रकार से समुद्र ने मानव इतिहास में उसकी उत्पत्ति से लेकर संस्कृति सहित विभिन्न आयामों को आकार प्रदान करने का काम किया।
उन्होंने कहा कि भारत की दृष्टि से देखें तब पश्चिम में पुरातात्विक खोजों ने मेसोपोटामिया (आज का इराक), दिलमुन (आज का बहरीन), मगान (आज का ओमान) जैसी सम्यताओं का प्रचीन नौवहन सम्पर्क रहा ।
उन्होंने कहा कि नौवहन सम्पर्को के तहत माल, संस्कृति और सौहार्द्र केआदान प्रदान से अतीत में साझी समृद्धि का आधार बना और यह आज तक बना हुआ है।
सिंह ने कहा कि पूर्व की ओर देखें तब समुद्री सम्पर्को ने श्रीलंका से दक्षिण पूर्व एशिया और कोरिया तक बौद्ध धर्म को ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। उन्होंने इस संदर्भ में रामायण और महाभारत तथा अयोध्या की भारतीय राजकुमारी का कोरिया के राजकुमार से विवाह के उद्धरण का भी उल्लेख किया ।
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