जैसलमेर, पांच दिसंबर (भाषा) : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि देश की सीमाओं पर ड्रोन उपकरणों से बढ़ते खतरे को विफल करने के लिए भारत स्वदेशी ड्रोन रोधी तकनीक विकसित कर रहा है जो जल्द ही सुरक्षा बलों को उपलब्ध करायी जाएगी।
सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के 57वें स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर शाह ने यहां कहा कि मोदी सरकार के लिए, सीमा सुरक्षा राष्ट्रीय सुरक्षा है और वह बल को दुनिया में सर्वश्रेष्ठ सीमा सुरक्षा तकनीक प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा कि 1965 में जब बीएसएफ का गठन हुआ है, तब से यह पहली बार है जब सीमा पर इसका स्थापना दिवस समारोह मनाया जा रहा है।
शाह ने बीएसएफ कर्मियों से कहा, “एक देश सुरक्षित होने पर ही दुनिया में आगे बढ़ सकता है और समृद्ध हो सकता है। आप देश की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं… हमेशा याद रखें कि सीमाओं की रक्षा करके आप देश की सुरक्षा सुनिश्चित कर रहे हैं और इसे विश्व स्तर पर एक मंच प्रदान कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि बीएसएफ को दुनिया की बेहतरीन तकनीकें उपलब्ध कराई जाएं।
शाह ने कहा, “यह सरकार का संकल्प है। ड्रोन से बढ़ते खतरे का जिक्र हुआ था। बीएसएफ, डीआरडीओ और एनएसजी ड्रोन रोधी तकनीक विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं। मुझे अपने वैज्ञानिकों पर पूरा भरोसा है कि हम जल्द ही स्वदेशी ड्रोन रोधी तकनीक विकसित करने में सक्षम होंगे।”
शाह ने कहा कि 2014 से मोदी सरकार ने सीमा सुरक्षा पर विशेष जोर दिया है। उन्होंने कहा, ‘जहां भी सीमाओं पर घुसपैठ की कोशिश हुई, सुरक्षा बलों और सीएपीएफ पर हमले हुए, हमने तत्काल जवाबी कार्रवाई सुनिश्चित की है।”
गृह मंत्री ने कहा, “भारत ने सुनिश्चित किया है कि कोई भी हमारी सीमाओं या सैनिकों को हल्के में न ले। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने उरी और पुलवामा हमलों के बाद क्रमशः सर्जिकल स्ट्राइक और हवाई हमलों के रूप में एक मजबूत जवाबी कार्रवाई सुनिश्चित की। पूरी दुनिया ने इस कार्रवाई की सराहना की।’
उन्होंने कहा कि बीएसएफ में रिक्त पदों को भरने के लिए सरकार ने 50,000 जवानों की भर्ती की है और उनका प्रशिक्षण शुरू हो गया है।
शाह ने कहा, “2008-14 के दौरान सीमावर्ती क्षेत्रों के लिए सड़क निर्माण का बजट 23,000 करोड़ रुपये था। 2014 से 2020 के बीच मोदी सरकार ने बजट को 23,700 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 44,600 करोड़ रुपये कर दिया। यह सीमावर्ती क्षेत्र के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।”
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