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भारत ने चीन के नये भूमि सीमा कानून की आलोचना की


बुध, 27 अक्टूबर 2021   |   2 मिनट में पढ़ें

नयी दिल्ली, 27 अक्टूबर (भाषा) : भारत ने चीन पर ‘एकतरफा’ ढंग से नया भूमि सीमा कानून लाने के लिये निशाना साधते हुए बुधवार को कहा कि यह चिंता का विषय है क्योंकि इस विधान का सीमा प्रबंधन पर वर्तमान द्विपक्षीय समझौतों तथा सीमा से जुड़े सम्पूर्ण प्रश्नों पर प्रभाव पड़ सकता है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत उम्मीद करता है कि चीन कानून के परिप्रेक्ष में ऐसा कोई कदम उठाने से बचेगा जिससे भारत चीन सीमा क्षेत्रों में स्थिति में एकतरफा ढंग से बदलाव आ सकता हो ।

उन्होंने कहा कि ऐसे ‘एकतरफा कदम’ का दोनों पक्षों के बीच पूर्व में हुई व्यवस्थाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए चाहे सीमा का सवाल हो या वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर अमन एवं शांति बनाये रखने का विषय हो ।

गौरतलब है कि पिछले सप्ताह चीन की संसद ने सीमावर्ती इलाकों के संरक्षण और उपयोग संबंधी एक नये कानून को अंगीकार किया है जिसका असर भारत के साथ बीजिंग के सीमा विवाद पर पड़ सकता है। सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ की खबर के मुताबिक नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) की स्थायी समिति के सदस्यों ने शनिवार को संसद की समापन बैठक के दौरान इस कानून को मंजूरी दी।

इस पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता बागची ने कहा, ‘‘ चीन का एकतरफा ढंग से कानून लाने के निर्णय का सीमा प्रबंधन पर हमारे वर्तमान द्विपक्षीय व्यवस्थाओं तथा सीमा से जुड़े सवालों पर प्रभाव पड़ेगा जो हमारे लिये चिंता का विषय है। ’’

इस बारे में मीडिया के सवालों पर बागची ने कहा, ‘‘हमें यह जानकारी है कि चीन ने 23 अक्टूबर को नया भूमि सीमा कानून पारित किया है। इस कानून में अन्य बातों के अलावा यह कहा गया है कि भूमि सीमा मामलों पर चीन दूसरे देशों के साथ किये या संयुक्त रूप से स्वीकार किये समझौतों का पालन करेगा । ’’

उन्होंने कहा कि कानून में सीमावर्ती क्षेत्रों में जिलों का पुनर्गठन करने का भी प्रावधान है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत और चीन ने सीमा के सवालों का अभी तक समाधान नहीं निकाला है और दोनों पक्षों ने समानता पर आधारित विचार विमर्श के आधार पर निष्पक्ष, व्यवाहारिक और एक दूसरे को स्वीकार्य समाधान निकालने पर सहमति व्यक्त की है।

उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अमन एवं शांति बनाये रखने के लिये कई द्विपक्षीय समझौते, प्रोटोकॉल एवं व्यवस्थाएं चुके हैं ।

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