नयी दिल्ली, चार अक्टूबर (भाषा) : केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने सोमवार को कहा कि भारत अंटार्कटिक के वातावरण में कार्बन उत्सर्जन को कम करने और पर्यावरण की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
सिंह 1991 में अंटार्कटिक संधि के लिए पर्यावरण संरक्षण संबंधी प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर करने के उपलक्ष्य में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। वर्ष 1998 में लागू हुई संधि अंटार्कटिका को ‘‘शांति और विज्ञान के लिए समर्पित प्राकृतिक क्षेत्र’’ के रूप में नामित करती है। सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत अंटार्कटिक के वातावरण में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए प्रतिबद्ध है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत ने पवन ऊर्जा उत्पादन की व्यवहार्यता के साथ हरित ऊर्जा पहल को भी अपनाया है और प्रायोगिक आधार पर पवन ऊर्जा जेनरेटर को स्थापित किया है। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री ने कहा, ‘‘अंटार्कटिक में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए भारती स्टेशन के लिए मिश्रित ताप और बिजली का चयन भी पर्यावरण की रक्षा के लिए भारत की प्रतिज्ञा को बढ़ावा देता है।’’
भारत के दो सक्रिय अनुसंधान केंद्र हैं। इनमें शिरमाकर हिल्स में मैत्री (1989 में आरंभ) और अंटार्कटिका के लारसेमैन हिल्स में भारती (2012 में शुरू) हैं। देश ने अब तक अंटार्कटिका में 40 वार्षिक वैज्ञानिक अभियान संचालित किए हैं।
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