वाशिंगटन, 22 अक्टूबर (भाषा) : ग्लास्गो में संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के पहले, अमेरिका की खुफिया एजेंसियों के एक आकलन में कहा गया है कि भारत और चीन तापमान वृद्धि की दिशा तय करने में अहम भूमिकाएं निभाएंगे।
अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया परिषद ने बृहस्पतिवार को अपनी नयी आकलन रिपोर्ट में कहा कि भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने की आशंका है क्योंकि देश इस बारे में बहस कर रहे हैं कि पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन में कमी लाने की प्रक्रिया कैसे तेज की जाए।
बहस इस पर केंद्रित रहेगी कि कौन ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन में कमी लाने की अधिक जिम्मेदारी लेगा और हर्जाना भरेगा और कितनी तेजी से तथा देश कैसे संसाधनों को नियंत्रण में रखेंगे और स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन के लिए आवश्यक नयी प्रौद्योगिकियों पर असर डालेंगे।
ग्लास्गो में 26वें यूनाइटेड नेशंस क्लाइमेट चेंज कांफ्रेंस ऑफ द पार्टीज (सीओपी26) के मद्देनजर राष्ट्रीय खुफिया परिषद द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘चीन और भारत तापमान वृद्धि की दिशा तय करने में अहम भूमिकाएं निभाएंगे।’’
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन और भारत ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन के मामले में दुनिया के क्रमश: पहले और चौथे सबसे बड़े देश हैं तथा दोनों का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन बढ़ रहा है जबकि अमेरिका और यूरोपीय संघ क्रमश: दूसरे और तीसरे सबसे बड़े उत्सर्जक हैं तथा उनका उत्सर्जन कम हो रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘चीन और भारत दोनों अधिक नवीकरणीय और कम कार्बन ऊर्जा स्रोतों को शामिल कर रहे हैं लेकिन कई कारक कोयले के उनके विस्थापन को कम करेंगे। उन्हें अपने विद्युत वितरण तंत्र को आधुनिक बनाने की आवश्यकता है, उनकी कीमत कम करने की आवश्यकता है जिससे ऊर्जा के अन्य स्रोतों की तरह यह भी कोयले की तरह सस्ती हो, उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा की वजहों से ईंधन के आयात पर निर्भरता कम करनी होगी।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘भारत के आर्थिक रूप से विकास करने के कारण निश्चित तौर पर उसके उत्सर्जन में वृद्धि होगी। भारतीय अधिकारियों ने अभी तक शून्य का लक्ष्य तय करने की प्रतिबद्धता नहीं जतायी है और इसके बजाय बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों से उत्सर्जन कम करने का आह्वान किया है।’’
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