नयी दिल्ली, 29 अक्टूबर (भाषा) : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत हिन्द प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा और सभी की समृद्धि के लिये बातचीत के जरिये एक ऐसी नियम आधारित साझी व्यवस्था में विश्वास करता है जो सभी देशों की सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करती हो ।
विदेश मंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है जबकि क्षेत्र में चीन की सैन्य आक्रामकता को लेकर वैश्विक चिंताएं बढ़ रही है।
चौथे हिन्द प्रशांत कारोबारी मंच की बैठक को बृहस्पतिवार को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा था कि हिन्द प्रशांत वैश्विकरकण की वास्तविकता, बहुपक्षता के उभरने तथा लाभ के पुन: संतुलन को प्रदर्शित करता है ।
उन्होंने कहा, ‘‘ यह हमारी अंतर्निर्भरता और अंतर प्रवेश को रेखांकित करता है। जब हम साझे हितों और साझे प्रयासों की बात करते हैं तो यह स्वभाविक है कि यह अन्य माध्यमों से, कारोबारी मंचों से भी हो ।’’
जयशंकर ने कहा कि भारत, हिन्द प्रशांत को एक मुक्त, खुले और समावेशी क्षेत्र के रूप में देखता है जो प्रगति और समृद्धि के साझे प्रयास में सभी को साथ लेता है।
उन्होंने कहा कि इसमें इस भौगोलिक क्षेत्र के सभी देश शामिल हैं और वे भी हैं जिनके हित इससे जुड़े हैं ।
जयशंकर ने कहा कि भारत हिन्द प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा ओर सभी की समृद्धि के लिये बातचीत के जरिये एक ऐसी नियम आधारित साझी व्यवस्था में विश्वास करता है जो सभी देशों की सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करती हो ।
उन्होंने कहा कि इसके तहत देशों को समुद्र एवं हवा में साझे क्षेत्र के उपयोग की पहुंच सुगम हो जिसमें नौवहन एवं उड़ान संबंधी स्वतंत्रता, निर्वाध वाणिज्य हो और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत विवादों का शांतिपूर्ण ढंग से निपटारा हो सके ।
विदेश मंत्री के इस बयान को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि दक्षिण चीन सागर में चीन का कई देशों के साथ क्षेत्रीय विवाद है।
जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि भारत इस क्षेत्र में निष्पक्ष, मुक्त, संतुलित, कानून आधारित एवं स्थिर अंतरराष्ट्रीय कारोबार की व्यवस्था की वकालत करता है तथा भारत का रुख सहयोग एवं गठजोड़ पर आधारित है।
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