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भारत, आसियान का समावेशी एवं सम्प्रभुता का सम्मान करने वाले हिन्द प्रशांत के लिये काम करने का संकल्प


शुक्र, 29 अक्टूबर 2021   |   3 मिनट में पढ़ें

नयी दिल्ली, 28 अक्टूबर (भाषा) : भारत और 10 देशों की सदस्यता वाले दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों के संगठन ‘आसियान’ ने खुले, पारदर्शी, समावेशी, सम्प्रभुता का सम्मान करने वाले एवं हस्तक्षेप नहीं करने वाले हिन्द प्रशांत की दिशा में काम करने का संकल्प लिया ।

यह संकल्प क्षेत्र में चीन की सैन्य आक्रामकता पर बढ़ती वैश्विक चिंताओं की पृष्ठभूमि में सामने आया है।

भारत-आसियान वार्षिक शिखर बैठक में दोनों पक्षों के नेताओं ने दक्षिण चीन सागर की स्थिति, आतंकवाद, अफगानिस्तान, कोविड-19 महामारी, सम्पर्क सहित साझा हितों से जुड़े क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर ‘सार्थक’ चर्चा की तथा दक्षिण चीन सागर में शांति, स्थिरता, सुरक्षा बनाये रखने एवं इसे प्रोत्साहित करने के महत्व को रेखांकित किया ।

डिजिटल माध्यम से हुई बैठक के बाद दोनों पक्षों ने हिन्द प्रशांत पर संयुक्त बयान जारी किया जिसमें क्षेत्र में शांति एवं सहयोग को बढ़ावा देने के लिये हिंद-प्रशांत महासागर पहल (आईपीओआई) और हिंद प्रशांत के लिए आसियान का दृष्टिकोण (एओआईपी) स्पष्ट एकरूपता एवं समानता प्रदर्शित हुई।

शिखर बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत की हिंद-प्रशांत महासागर पहल (आईपीओआई) और हिंद प्रशांत के लिए आसियान का दृष्टिकोण (एओआईपी) इस क्षेत्र में उनके साझे नजरिए एवं आपसी सहयोग की रूपरेखा है।

उन्होंने कहा, ‘‘आसियान की एकता और केंद्रीयता भारत के लिए सदैव एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता रही है। आसियान की यह विशेष भूमिका, भारत की एक्ट ईस्ट नीति का हिस्सा है जो ‘सागर’ (क्षेत्र में सभी की सुरक्षा और विकास) नीति में निहित है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की हिंद-प्रशांत समुद्री पहल और आसियान का हिंद प्रशांत क्षेत्र के लिए दृष्टिकोण इस क्षेत्र में ‘‘हमारे साझा दृष्टिकोण और आपसी सहयोग’’ का ढांचा है।

उन्होंने कहा कि 2022 में भारत और आसियान की साझेदारी को 30 वर्ष पूरे हो जाएंगे और इस महत्वपूर्ण उपलब्धि को ‘आसियान-भारत मित्रता वर्ष’ के रूप में मनाया जाएगा।

मंत्रालय के बयान के अनुसार, आसियान देशों के नेताओं ने क्षेत्र में भरोसेमंद सहयोगी के रूप में भारत की भूमिका की सराहना की, खासतौर पर कोविड-19 महामारी के दौरान टीके की आपूर्ति के संबंध में ।

बयान के अनुसार, आसियान देशों के नेताओं ने हिन्द प्रशांत में आसियान की प्रमुखता को लेकर भारत के समर्थन का स्वागत किया और क्षेत्र में भारत आसियान सहयोग को बढ़ावा देने की उम्मीद जतायी । इसमें कहा गया है कि भारत आसियान सम्पर्क को मजबूत बनाने के लिये प्रधानमंत्री ने आसियान सांस्कृतिक धरोहर सूची स्थापित करने में भारत के सहयोग की घोषणा की ।

कारोबार एवं निवेश पर प्रधानमंत्री मोदी ने कोविड महामारी के बाद आर्थिक सुधार के लिये ठोस एवं विविधतापूर्ण आपूर्ति श्रृंखला के महत्व को रेखांकित किया और इस संदर्भ में भारत आसियान मुक्त कारोबार समझौते का उल्लेख किया ।

वहीं, संयुक्त बयान के अनुसार, इसका मकसद ऐसे हिन्द प्रशांत को बढ़ावा देना है जो आसियान की केंद्रीयता के साथ खुलापन, पारदर्शिता, समावेशिता, सम्प्रभुता के सम्मान, हस्तक्षेप नहीं करने, वर्तमान सहयोग ढांचे के तहत सामंजस्य बनाने सहित आपसी सम्मान, विश्वास, लाभ एवं अंतरराष्ट्रीय कानून के सम्मान पर आधारित हो ।

बैठक के बाद विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) रीवा गांगुली दास ने संवाददाताओं से कहा कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रुनेई के सुल्तान हसनाल बोलकिया के निमंत्रण पर 18वें आसियान भारत शिखर बैठक में डिजिटल माध्यम से हिस्सा लिया । उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री और आसियान देशों के नेताओं ने क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिये सहयोग पर भारत-आसियान संयुक्त बयान अंगीकार करने का स्वागत किया ।

दास ने बताया कि प्रधानमंत्री और आसियान देशों के नेताओं ने दक्षिण चीन सागर, आतंकवाद, अफगानिस्तान, कोविड-19 महामारी, सम्पर्क सहित साझा हितों से जुड़े क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर बृहस्पतिवार को ‘सार्थक’ चर्चा की ।

विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, ‘‘ दोनों पक्षों ने क्षेत्र में कानून आधारित व्यवस्था को प्रोत्साहित करने के महत्व पर जोर दिया जिसमें अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन शामिल है।’’ इसमें कहा गया है कि नेताओं ने दक्षिण चीन सागर में शांति, स्थिरता, सुरक्षा बनाये रखने एवं प्रोत्साहित करने तथा नौवहन स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के महत्व को रेखांकित किया ।

दास ने बताया कि बैठक में आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं सामरिक क्षेत्रों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई । भारत आसियान के बीच एजेंडे में ‘सम्पर्क’ एक प्रमुख विषय है जिसमें भौतिक संपर्क, डिजिटल संपर्क और लोगों के बीच सम्पर्क शामिल है ।

विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) ने बताया कि भारत, म्यामां, थाईलैंड हाइवे परियोजना से जुड़ा प्रस्ताव भी सामने है और इस परियोजना पर काम चल रहा है। उन्होंने बताया कि इस राजमार्ग के पूरब की ओर विस्तार के विषय पर चर्चा हुई, इस बारे में रिपोर्ट तैयार है और इस पर आगे बढ़ने को लेकर आसियान देशों की प्रतिक्रिया का इंतजार किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने आसियान देशों को आईपीओआई पर साथ आने को कहा और इंडोनेशिया समुद्री संसाधनों को लेकर साथ आया है और यह स्वागत योग्य घटनाक्रम है।

गौरतलब है कि आसियान को इस क्षेत्र में एक प्रभावशाली समूह माना जाता है और इसमें भारत के अलावा कई महत्वपूर्ण देशा शामिल हैं ।

दोनों पक्षों ने भारत-आसियान ढांचे के तहत नौवहन सुरक्षा, उपयुक्त तंत्र के माध्यम से सूचनाओं को साझा करने सहित नौवहन सहयोग बढ़ाने का संकल्प लिया ।

म्यामां के बारे में एक सवाल के जवाब में दास ने कहा कि बैठक में म्यामां का मुद्दा भी उठा। भारत ने म्यामां को मानवीय सहायता में योगदान किया है।

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