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भारत, अमेरिका ने स्वच्छ ऊर्जा उपायों के विकास और इस बाबत कदमों को तेज करने का संकल्प लिया


शुक्र, 10 सितम्बर 2021   |   2 मिनट में पढ़ें

वाशिंगटन, 10 सितंबर (भाषा) : जलवायु संबंधी खतरों के बीच अमेरिका और भारत ने स्वच्छ ऊर्जा उपायों के विकास और उनके उपयोग में तेजी लाने का संकल्प जताया है।

केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने अमेरिकी ऊर्जा मंत्री जेनिफर ग्रानहोम के साथ संशोधित ‘यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक क्लीन एनर्जी पार्टनरशिप’ की डिजिटल तरीके से शुरुआत संबंधी कार्यक्रम की सह-अध्यक्षता की।

पुरी ने कहा, ‘हम उन्नत अमेरिकी प्रौद्योगिकियों और तेजी से बढ़ते भारत के ऊर्जा बाजार जैसे दोनों देशों के पूरक तत्वों का लाभ उठाने के प्रयासों को तेज करेंगे जिससे दोनों के लिए लाभदायक स्थिति बने। हमारे सामूहिक प्रयास कम कार्बन उत्सर्जन वाले कदमों के साथ स्वच्छ ऊर्जा रूपरेखा विकसित करने पर केंद्रित रहेंगे।’

ग्रानहोम ने कहा कि अमेरिका, प्रौद्योगिकी नवाचार और सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से अपने स्वच्छ ऊर्जा प्रयासों को पुनर्जीवित करने और उन्हें तेज करने के लिए भारत के साथ काम करने को लेकर उत्साहित है।

उन्होंने कहा, ‘एक साथ काम करते हुए, हम अमेरिका-भारत जलवायु और स्वच्छ ऊर्जा एजेंडा 2030 साझेदारी के तहत राष्ट्रपति जो बाइडन और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा निर्धारित दृष्टिकोण को साकार करते हुए, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करते हुए स्थायी स्वच्छ ऊर्जा विकास को संभव बनाने के लिए महत्वपूर्ण तकनीकी समाधान का इस्तेमाल करेंगे।’

दोनों देशों ने एक संयुक्त बयान में कहा कि पूरक ‘जलवायु कार्रवाई एवं वित्त जुटाने के संवाद’ के साथ ‘रणनीतिक स्वच्छ ऊर्जा भागीदारी (एससीईपी)’ के एजेंडा 2030 साझेदारी के तहत 13 सितंबर को शुरूआत की जाएगी। यह अमेरिका और भारत के दीर्घकालिक और उत्पादक द्विपक्षीय ऊर्जा संवाद पर आधारित है जो उन्नत ऊर्जा सुरक्षा और नवोन्मेष को बढ़ावा देता है।

संयुक्त बयान के अनुसार, नए सिरे से शुरू एससीईपी विद्युतीकरण करने और कार्बन उत्सर्जन कम करने की प्रक्रियाओं और अंतिम उपयोगों पर अधिक जोर देता है, उभरती हुई स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को तेजी से उपयोग में लाने और ऐसे क्षेत्रों के समाधान खोजने पर अधिक जोर देता है जहां कार्बन उत्सर्जन कम करना कठिन है।

एससीईपी के तहत, अमेरिका और भारत पांच स्तंभों में सहयोग करने के लिए सहमत हुए। ये स्तंभ हैं बिजली और ऊर्जा दक्षता; नवीकरणीय ऊर्जा; सतत विकास और उभरते ईंधन।

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