न्यूयॉर्क, 25 सितंबर (एपी) : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए संबोधन में अपने देश को अमेरिकी कृतघ्नता का और अंतरराष्ट्रीय दोहरेपन का पीड़ित दिखाने की कोशिश की।
इमरान खान का पूर्व रिकॉर्डेड भाषण शुक्रवार शाम को प्रसारित किया गया जिसमें उन्होंने जलवायु परिवर्तन, वैश्विक इस्लामोफोबिया और “भ्रष्ट विशिष्ट वर्गों द्वारा विकासशील देशों की लूट” जैसे कई विषयों पर बात की। अपनी अंतिम बात को उन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी के भारत के साथ किए गए बर्ताव से जोड़ कर समझाने की कोशिश की।
खान ने भारत सरकार के लिए कठोर शब्दों का इस्तेमाल करते हुए एक बार फिर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को ‘हिंदू राष्ट्रवादी सरकार’ और “फासीवादी” बताया।
खान ने अमेरिका को लेकर गुस्सा और दुख जाहिर किया और उस पर पाकिस्तान तथा अफगानिस्तान दोनों का साथ छोड़ देने का आरोप लगाया।
खान ने कहा, “अफगानिस्तान में मौजूदा स्थिति के लिए, कुछ कारणों से, अमेरिका के नेताओं और यूरोप में कुछ नेताओं द्वारा पाकिस्तान को कई घटनाओं के लिए दोष दिया गया।” उन्होंने कहा, “इस मंच से, मैं उन सबको बताना चाहता हूं कि अफगानिस्तान के अलावा जिस देश को सबसे ज्यादा सहना पड़ा है, वह पाकिस्तान है जिसने 9/11 के बाद आतंकवाद के खिलाफ अमेरिकी युद्ध में उसका साथ दिया।”
खान ने कहा कि अमेरिका ने 1990 में अपने पूर्व साथी (पाकिस्तान) को प्रतिबंधित कर दिया था लेकिन 9/11 के हमलों के बाद फिर से उसका साथ मांगा। खान ने कहा कि अमेरिका को पाकिस्तान की तरफ से मदद दी गई लेकिन 80,000 पाकिस्तानी लोगों को जान गंवानी पड़ी। इसके अलावा देश में आंतरिक संघर्ष और असंतोष भी उपजा, वहीं अमेरिका ने ड्रोन हमले भी किए।
खान ने कहा कि ‘‘तारीफ’’ के बजाय पाकिस्तान के हिस्से सिर्फ इल्जाम आया।
खान के शांति कायम करने के बयानों के बावजूद, कई अफ़गानों ने अफगानिस्तान में तालिबान के पुनरुत्थान के लिए पाकिस्तान को तालिबान से उसके करीबी संबंधों के कारण दोषी ठहराया है।
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