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‘उम्मीद करते हैं कि चीन पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर शेष मुद्दों के जल्द समाधान के लिये काम करेगा’


शुक्र, 08 अक्टूबर 2021   |   2 मिनट में पढ़ें

नयी दिल्ली, सात अक्टूबर (भाषा) : भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह उम्मीद करता कि चीन द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन करते हुए पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शेष मुद्दों को जल्दी हल करने की दिशा में काम करेगा।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा कि भारत ने अपने बयानों के जरिये स्पष्ट किया है कि चीनी पक्ष के एकतरफा और उकसावे वाले बर्ताव के परिणामस्वरूप पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर शांति गंभीर रुप से भंग हुई है।

उन्होंने कहा, “चीनी पक्ष का उकसावे वाला बर्ताव है और हमारे सभी द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन करते हुए यथास्थिति को बदलने का एकतरफा प्रयास है, जिसके परिणामस्वरूप पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर शांति एवं समरसता भंग हुई है।”

चीनी पक्ष की ओर से अतिक्रमण की खबरों के बारे में पूछे जाने पर बागची ने कहा कि वे ऐसी बातों पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते जिससे सैन्य आयाम जुडे हों । उन्होंने कहा कि इस बारे में रक्षा मंत्रालय ही जवाब दे सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘ यह हमारी उम्मीद है कि चीन द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन करते हुए पूर्वी लद्दाख में वास्तिविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शेष मुद्दों को जल्दी हल करने की दिशा में काम करेगा।’’

उन्होंने पिछले महीने की शुरुआत में दुशांबे में एक बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर के अपने चीनी समकक्ष को दिए संदेश का भी जिक्र किया।

गौरतलब है कि पिछले वर्ष पांच मई को पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच हिंसक झडप के बाद सीमा गतिरोध शुरू हो गया था । इसके बाद दोनों ओर से सीमा पर सैनिकों एवं भारी हथियारों की तैनाती की गई थी ।

गतिरोध को दूर करने लेकर दोनों देशों के बीच राजनयिक एवं सैन्य स्तर पर कई वार्ताएं भी हो चुकी हैं। दोनों पक्षों ने पिछले महीने गोरा क्षेत्र से पीछे हटने का काम पूरा काम पूरा कर लिया लेकिन कुछ स्थानों पर अभी गतिरोध बरकरार है।

दोनों पक्षों की ओर से अभी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं।

चीन में पढ़ाई के लिये भारतीय छात्रों को यात्रा वीजा नहीं मिलने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि चीन ने इस तरह की पाबंदियां सभी देशों के लिये लगाई है और इस मुद्दे पर आगे बढने का प्रयास कर रहे हैं ।

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