नयी दिल्ली, 24 अगस्त (भाषा) भारत ने मंगलवार को उम्मीद जतायी कि अफगानिस्तान की मौजूदा स्थिति पड़ोसियों के लिए चुनौती नहीं बनेगी तथा लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी समूह द्वारा अपनी गतिविधियों के लिए अफगान भूमि का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही भारत ने काबुल में एक समावेशी और व्यापक आधार वाली ऐसी व्यवस्था पर बल दिया जिसमें अफगान समाज के सभी तबकों का प्रतिनिधित्व हो।
अफगानिस्तान की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी ) के एक विशेष सत्र को संबोधित करते हुए भारतीय राजदूत इंद्र मणि पांडेय ने कहा कि देश (अफगानिस्तान) में एक ‘गंभीर’ मानवीय संकट उभर कर सामने आ रहा है और हर कोई अफगान लोगों के मौलिक अधिकारों के बढ़ते उल्लंघन को लेकर चिंतित है।
जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पांडेय ने कहा कि भारत को उम्मीद है कि वहां की स्थिति जल्द ही स्थिर होगी और संबंधित पक्ष मानवीय और सुरक्षा मुद्दों का समाधान निकालेंगे। उन्होंने कहा, ‘हमें यह भी उम्मीद है कि एक समावेशी और व्यापक आधार वाली व्यवस्था होगी जो अफगान समाज के सभी तबकों का प्रतिनिधित्व करती है। अफगान महिलाओं की आवाज, अफगान बच्चों की आकांक्षाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए।’
उन्होंने कहा कि व्यापक आधार वाले प्रतिनिधित्व से व्यवस्था को अधिक स्वीकार्यता और वैधता हासिल करने में सहायता मिलेगी।
पांडेय ने कहा कि अफगानिस्तान में स्थिरता से क्षेत्र की शांति और सुरक्षा जुड़ी है। उन्होंने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि अफगानिस्तान की स्थिति उसके पड़ोसियों के लिए एक चुनौती नहीं होगी और उसके क्षेत्र का इस्तेमाल लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेएम) जैसे आतंकवादी समूहों द्वारा किसी अन्य देश के खिलाफ नहीं किया जाएगा।’’
राजदूत ने कहा कि अफगानिस्तान की मौजूदा स्थिति पड़ोसी देश होने के नाते भारत के लिए ‘गंभीर चिंता’ का विषय है।
उन्होंने कहा, ‘हम अफगानिस्तान में तेजी से उभर रही सुरक्षा स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहे हैं और हम संबंधित पक्षों से कानून व्यवस्था बनाए रखने, सभी अफगान नागरिकों, संयुक्त राष्ट्र कर्मियों और राजनयिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा अफगानिस्तान में सभी परिस्थितियों में मानवाधिकारों और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों का पालन करने का आह्वान करते हैं।’’
काबुल पर तालिबान का कब्जा हो जाने के बाद अफगानिस्तान में मानवाधिकार संबंधी चिंता और स्थिति पर विचार विमर्श के लिए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद का विशेष सत्र आयोजित किया गया है।
पांडेय ने कहा, ‘सुरक्षा की स्थिति अनिश्चित बनी हुई है, एक गंभीर मानवीय संकट उभर कर साने आ रहा है। हर कोई अफगान नागरिकों के मौलिक अधिकारों के बढ़ते उल्लंघन को लेकर चिंतित है। अफगान नागरिक चिंतित हैं कि क्या गरिमा के साथ जीने के उनके अधिकार का सम्मान किया जाएगा।’
उन्होंने कहा, ‘‘ ‘ अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के रूप में, हमें देश में शांति, स्थिरता और सुरक्षा की इच्छा रखने वाले अफगान लोगों को पूर्ण समर्थन सुनिश्चित करना चाहिए और महिलाओं, बच्चों तथा अल्पसंख्यकों सहित सभी अफगानों को शांति और सम्मान से जीने में सक्षम बनाना चाहिए।’
पांडेय ने कहा कि आंतरिक रूप से विस्थापित हुए हजारों लोग भोजन, इलाज और आश्रय की भारी कमी का सामना कर रहे हैं। उन्होंने हाल के वर्षों में अफगानिस्तान के विकास में भारत के महत्वपूर्ण योगदान का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘अफगानिस्तान के साथ भारत की विकास साझेदारी पांच स्तंभों – बड़ी आधारभूत ढांचा परियोजनाएं और संपर्क; मानवीय सहायता; मानव संसाधन विकास और क्षमता निर्माण; एवं उच्च प्रभाव वाली सामुदायिक विकास परियोजनाओं (एचआईसीडीपी) पर टिकी हुई है।’’
उन्होंने कहा कि भारत ने बिजली, जलापूर्ति, सड़क संपर्क, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, कृषि और क्षमता निर्माण जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में परियोजनाएं शुरू की हैं। उन्होंने कहा कि भारत का जोर अफगानिस्तान के लोगों के कल्याण पर रहा है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के सभी 34 प्रांतों में भारत की विकास परियोजनाएं मौजूद हैं और भारत ने कोविड-19 महामारी के दौरान खाद्य सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए अफगानिस्तान को 75,000 मीट्रिक टन गेहूं की मानवीय सहायता भी मुहैया करायी है।
पांडेय ने कहा कि अफगानिस्तान के साथ भारत की ‘सहस्राब्दी पुरानी’ मित्रता लोगों से लोगों के संबंधों के मजबूत स्तंभों पर टिकी हुई है और यह हमेशा शांतिपूर्ण, खुशहाल और प्रगतिशील अफगानिस्तान के लिए खड़ा रहा है। उन्होंने कहा, ‘भारत अफगानिस्तान के अपने मित्रों की आकांक्षाओं को पूरा करने में उनकी मदद के लिए तैयार है… हमें उम्मीद है कि स्थिति जल्द ही स्थिर होगी और संबंधित पक्ष मानवीय और सुरक्षा मुद्दों का समाधान करेंगे।’’
भाषा
अविनाश नरेश
नरेश
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