पेशावर, दो जनवरी (भाषा) :भारत, अमेरिका और खाड़ी क्षेत्र के 200 से अधिक हिंदू तीर्थयात्रियों ने पाकिस्तान स्थित 100 वर्ष पुराने महाराज परमहंस जी मंदिर में शनिवार को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच पूजा की।
एक कट्टरपंथी इस्लामी दल से संबंधित लोगों की भीड़ ने एक साल पहले इस मंदिर को ध्वस्त कर दिया था, जिसके बाद इसकी मरम्मत की गई है।
मंदिर आए विदेशी हिंदू तीर्थयात्रियों में भारत के करीब 200 और दुबई के करीब 15 लोग थे। शेष श्रद्धालु अमेरिका और अन्य खाड़ी राज्यों से आए थे।
करक जिले के खैबर पख्तूनख्वा में टेरी गांव स्थित परमहंस जी के मंदिर और ‘समाधि’ को 2020 में जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फजल के कुछ सदस्यों ने ध्वस्त कर दिया था, जिसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हुई थी। इसके बाद मंदिर की मरम्मत की गई थी।
अधिकारियों ने बताया कि भारतीय तीर्थयात्री वाघा बॉर्डर पार करके पाकिस्तान पहुंचे और सशस्त्र कर्मी उन्हें मंदिर तक लेकर आए। इस कार्यक्रम का आयोजन पाकिस्तानी हिंदू परिषद ने ‘पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस’ के सहयोग से किया था।
इस अवसर पर टेरी गांव की सुरक्षा में पुलिस अधीक्षक-रैंक के एक अधिकारी के नेतृत्व में रेंजर्स, खुफिया विभाग और हवाई अड्डा सुरक्षा बल के 600 जवानों को तैनात किया गया था।
हिंदू परिषद के अधिकारियों ने बताया कि अनुष्ठान रविवार दोपहर तक चला। ‘हुजरा’ यानी खुले में बने स्वागत कक्षों को तीर्थयात्रियों के लिए शरणस्थलों में बदला गया था। मंदिर के निकट बाजारों में पर्यटकों की खासी रौनक देखने को मिली और तीर्थयात्रियों के साथ आए बच्चों की स्थानीय बच्चों के साथ क्रिकेट खेलते हुए तस्वीरें ली गईं।
हिंदू समुदाय के कानूनी मामलों के प्रभारी रोहित कुमार ने मंदिर की मरम्मत और वहां दर्शन की व्यवस्था के लिए पाकिस्तान सरकार की प्रशंसा की।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत से आए यात्रियों ने मंदिर में आज जो पूजा की, उससे भारत में एक सकारात्मक संदेश जाएगा तथा क्षेत्र में धार्मिक सद्भावना एवं शांति को बढ़ावा मिलेगा।’’
पाकिस्तान हिंदू परिषद ने ‘आस्था पर्यटन’ के तत्वावधान में इस पहल की है। महाराज परमहंस जी ने 1919 में टेरी गांव में अंतिम सांस ली थी।
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