ग्लासगो, नौ नवंबर (भाषा) : ब्रिटेन के ग्लासगो में आयोजित अंतरराष्ट्रीय जलवायु शिखर सम्मेलन ‘सीओपी-26’ में हुए विचार-विमर्श पर भारत ने निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक कार्रवाई विकसित देशों से समय पर और पर्याप्त वित्तीय मदद मिलने पर निर्भर है।
भारत ने ‘प्रेसीडेंसी इवेंट’ में सोमवार को जलवायु वित्त पोषण पर पहली उच्च स्तरीय मंत्रिस्तरीय वार्ता में एक बयान में कहा कि जलवायु संबंधी कार्रवाई के लिए वित्तीय मदद के दायरे, पैमाने और उसे मुहैया कराने की गति को बढ़ाना होगा।
आर्थिक मामलों के विभाग की सलाहकार चांदनी रैना ने भारत की ओर से कहा, ‘‘ सबसे पहले, हम सीओपी26 में अभी तक हुए विचार-विमर्श पर निराशा व्यक्त करते हैं..विकसित देशों को ऐतिहासिक जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए और विकासशील देशों को वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने चाहिए। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक कार्रवाई समय पर और पर्याप्त वित्तीय मदद उपलब्ध कराने पर निर्भर है। विकसित देशों ने 2009 में जलवायु संबंधी कार्रवाई के लिए विकासशील देशों को 2020 तक प्रति वर्ष 100 अरब डॉलर मुहैया कराने का वादा किया था। यह वादा अभी तक पूरा नहीं किया गया है। ’’
रैना ने कहा कि वित्तीय मदद को बढ़ाने की जरूरत है क्योंकि जो धन मुहैया कराया जा रहा है और जितने धन की जरूरत है, उसमें काफी अंतर है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह अनिवार्य है कि विकसित देश वित्तीय सहायता प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए निर्णायक रूप से कार्य करें…जो विकासशील देशों द्वारा जलवायु कार्रवाई के लिए एक पूर्व शर्त है। वित्तीय मदद के दायरे, पैमाने और उसे मुहैया कराने की गति में काफी बढ़ोतरी करनी होगी। ’’
भारत ने यह भी कहा कि इन महत्वपूर्ण मानदंडों को तय करते समय, शिखर सम्मेलन में की कई प्रतिबद्धताओं को भी ध्यान में रखना चाहिए ।
*******************************
हम आपको दुनिया भर से बेहतरीन लेख और अपडेट मुहैया कराने के लिए चौबीस घंटे काम करते हैं। आप निर्बाध पढ़ सकें, यह सुनिश्चित करने के लिए पूरी टीम अथक प्रयास करती है। लेकिन इन सब पर पैसा खर्च होता है। कृपया हमारा समर्थन करें ताकि हम वही करते रहें जो हम सबसे अच्छा करते हैं। पढ़ने का आनंद लें
सहयोग करें
POST COMMENTS (0)