रोम, 31 अक्टूबर (एपी) : जी-20 के नेता शिखर सम्मेलन के अंतिम दिन रविवार को जलवायु परिवर्तन से निपटने पर चर्चा करेंगे। इस चर्चा से जलवायु परिवर्तन पर स्कॉटलैंड के ग्लासगो में आगामी सम्मेलन का रुख तय होगा।
दुनिया के तीन-चौथाई से अधिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का प्रतिनिधित्व करने वाले 20 देशों का समूह बढ़ते तापमान के प्रभाव से निपटने में गरीब देशों की मदद करते हुए उत्सर्जन को कम करने के लिए समान आधार की तलाश कर रहा है।
यदि जी-20 शिखर सम्मेलन केवल कमजोर प्रतिबद्धताओं के साथ समाप्त होता है तो ग्लासगो में होने वाली अहम वार्षिक वार्ता में भी यह कमजोर पड़ सकती है जहां दुनिया भर के देशों का प्रतिनिधित्व होगा।
ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का एक प्रमुख स्रोत कोयले का भविष्य जी -20 के देशों के बीच सहमत होने के लिए सबसे जटिल मुद्दों में से एक रहा है।
अमेरिका और अन्य देश कोयला आधारित संयंत्रों से बिजली उत्पादन को लेकर विदेशी वित्तपोषण को समाप्त करने की प्रतिबद्धता जताने की उम्मीद कर रहे हैं। पश्चिमी देश कोयला आधारित परियोजनाओं का वित्तपोषण करने से पीछे हट चुके हैं और एशिया की बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश भी ऐसा करने वाले हैं। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा था कि बीजिंग ऐसी परियोजनाओं को वित्तीय मदद रोक देगा। जापान और दक्षिण कोरिया ने भी इसी तरह की प्रतिबद्धता जताई थी।
जी-20 नेताओं ने कोविड-19 महामारी और दुनिया में टीकों के असमान वितरण पर भी चर्चा की है। जी-20 के नेताओं ने शनिवार को निगमों पर एक वैश्विक न्यूनतम कर का समर्थन किया। कुछ बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आसमान छूते मुनाफे के बीच नए अंतरराष्ट्रीय कर नियमों की पैरवी की गई।
ईरान के परमाणु कार्यक्रम के बारे में एक बैठक के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन, जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने एक संयुक्त बयान दिया, जिसमें उन्होंने ‘‘यह सुनिश्चित करने के लिए दृढ़ संकल्प जताया कि ईरान कभी भी परमाणु हथियार विकसित या हासिल नहीं कर सकता।’’
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