नयी दिल्ली, 26 अगस्त (भाषा) ‘क्वाड’ में शामिल चार देशों- -भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया एवं जापान की नौसेनाओं के बीच गुआम अपतटीय क्षेत्र में बृहस्पतिवार को चार दिवसीय मालाबार युद्धाभ्यास का आगाज़ हो गया। यह क्षेत्र में चीन के विस्तारवादी रवैये के मद्देनजर चार देशों के स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत की दिशा में काम करने के संकल्प की पृष्ठभूमि में हो रहा है।
अधिकारियों ने बताया कि पश्चिमी प्रशांत में इस युद्धाभ्यास की मेजबानी अमेरिका कर रहा है जिसमें युद्धपोतों, विमानों एवं हेलीकॉप्टरों के जरिए विभिन्न जटिल अभ्यास किए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि भारतीय नौसेना के आईएनएस ‘शिवालिक’ और पनडुब्बी रोधी आईएनएस ‘कदमट’ तथा ‘पी8आई’ गश्ती विमान इस अभ्यास में भाग ले रहे हैं।
मालाबार अभ्यास का 25 वां संस्करण चार क्वाड देशों के बीच समुद्री क्षेत्र में हितों की बढ़ती निकटता के बीच हो रहा है।
भारतीय नौसेना के प्रवक्ता कमांडर विवेक मधवाल ने कहा, “सतह रोधी, वायु रोधी और पनडुब्बी रोधी युद्ध अभ्यास और अन्य सैन्य व्यूह अभ्यास तथा सामरिक अभ्यास सहित कई जटिल अभ्यास किये जायेंगे। इस नौसैन्य अभ्यास में भाग लेने वाली नौसेनाओं को एक दूसरे की विशेषज्ञता एवं अनुभवों से लाभ प्राप्त करने का अवसर मिलेगा।”
ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) में एक परिचर्चा में, बुधवार को अमेरिका हिंद-प्रशांत कमान के कमांडर एडमिरल जॉन एक्विलिनो ने हिंद-प्रशांत के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों के बारे में और चीन के सैन्य जमावड़े पर बात की जिसमें समुद्री क्षेत्र में उसकी सैन्य संरचना भी शामिल है।
उन्होंने मालाबार नौसैनिक अभ्यास में भाग लेने वालों की संख्या में वृद्धि की संभावना का भी संकेत दिया, अगर चार देशों के नेता वर्तमान में इससे सहमत हों।
भारत के आमंत्रण के बाद ऑस्ट्रेलिया ने पिछले साल मालाबार अभ्यास में हिस्सा लिया था। चीन वार्षिक मालाबार अभ्यास को संदेह की दृष्टि से देखता रहा है क्योंकि उसे लगता है कि युद्धाभ्यास हिंद प्रशांत क्षेत्र में उसके प्रभाव को कम करने का प्रयास है।
मालाबार अभ्यास 1992 में हिंद महासागर में भारतीय नौसेना और अमेरिकी नौसेना के बीच द्विपक्षीय अभ्यास के रूप में शुरू हुआ था। जापान 2015 में अभ्यास का स्थायी सदस्य बना था। यह वार्षिक अभ्यास 2018 में गुआम अपतटीय क्षेत्र में और 2019 में जापान अपतटीय क्षेत्र में आयोजित किया गया था।
पिछले साल यह अभ्यास दो चरणों में आयोजित किया गया जिसका पहला चरण बंगाल की खाड़ी में और दूसरा चरण अरब सागर में हुआ था।
भाषा
नोमान शाहिद
शाहिद
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