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सरकार की प्राथमिकता अफगानिस्तान से लोगों को वापस लाना, भारत का रुख ‘देखो और इंतजार करो’ : जयशंकर


शुक्र, 27 अगस्त 2021   |   6 मिनट में पढ़ें

नयी दिल्ली, 26 अगस्त (भाषा) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं को अफगानिस्तान की ताजा स्थिति से अवगत कराया और कहा कि सरकार वहां से भारतीयों को वापस लाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है जहां स्थिति ‘गंभीर’ है।

विदेश मंत्री ने कहा कि भारत की तात्कालिक चिंता एवं प्राथमिकता वहां से लोगों को बाहर लाना तथा दीर्घकालिक हित अफगानिस्तान के लोगों के साथ मित्रता है।

करीब साढ़े तीन घंटे तक चली इस बैठक के दौरान जयशंकर ने कहा कि सरकार ने तालिबान को लेकर ‘देखो और प्रतीक्षा करो’ का रुख अपनाया है जो उभरती स्थिति पर निर्भर करेगा ।

बाद में तालिबान को लेकर भारत के रुख के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्री ने संवाददाताओं से कहा कि अफगानिस्तान में स्थिति ठीक नहीं हुई है, इसे ठीक होने दीजिए । उन्होंने कहा, ‘‘ आपको हमारी भविष्य की नीति से जुड़े सवाल पर संयम रखना होगा । वहां स्थिति ठीक होने दें । ’’

जयशंकर ने बाद में अपने ट्वीट में कहा, ‘‘ हमारी तात्कालिक चिंता वहां से बाहर निकालने के कार्य और अफगानिस्तान के लोगों के साथ मित्रता के दीर्घकालिक हितों से जुड़ी हैं ।’’

कुछ दिनों पहले तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जा करने की पृष्ठभूमि में, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राजनीतिक दलों के नेताओं को उस देश के ताजा हालात के बारे में जानकारी दी । संसदीय सौध में आयोजित इस बैठक में जयशंकर के अलावा राज्यसभा के नेता और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल तथा संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी भी मौजूद थे ।

इसमें विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला सहित विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे ।

बैठक में मौजूद लोगों को अफगानिस्तान से बाहर निकालने के अभियान के संबंध में उपलब्ध कराये गए आंकड़ों के अनुसार, सरकार ने दूतावास के 175 कर्मियों, 263 अन्य भारतीय नागरिकों, हिन्दू एवं सिख समेत अफगानिस्तान के 112 नागरिकों, अन्य देशों के 15 नागरिकों को बाहर निकाला और यह कुल आंकड़ा 565 है।

दस्तावेज के मुताबिक, सरकार ने अन्य एजेंसियों के माध्यम से भारतीयों को निकालने की सुविधा भी उपलब्ध करायी ।

इस महत्वपूर्ण बैठक में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, द्रमुक नेता टी आर बालू, पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा, अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल सहित कुछ अन्य नेताओं ने हिस्सा लिया।

जयशंकर ने यह भी कहा कि सरकार सभी भारतीयों को अफगानिस्तान से वापस लाने के लिए प्रतिबद्ध है ।

विदेश मंत्री जयशंकर ने अफगानिस्तान के मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक के बाद कहा कि‘‘ इस बारे में (अफगानिस्तान के बारे में) सभी दलों के विचार समान हैं, हमने मुद्दे पर राष्ट्रीय एकता की भावना से बात की ।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अफगानिस्तान के बारे में हमारी मजबूत राष्ट्रीय दृष्टि है और अफगानिस्तान के लोगों के साथ मित्रता हमारे लिये महत्वपूर्ण है।’’

उन्होंने कहा कि आपरेशन ‘देवीशक्ति’ के माध्यम से सरकार ने छह उड़ानें संचालित की है और अधिकतर भारतीयों को वापस लाई है लेकिन अभी सभी भारतीयों को वापस नहीं लाया जा सका है । अभी भी कुछ भारतीय वहां हैं ।

जयशंकर ने कहा, ‘‘ कुछ लोग कल की उड़ान पर सवार नहीं हो सके लेकिन निश्चित तौर पर हम सभी भारतीयों को लाने का प्रयास करेंगे । हम अफगानिस्तान के कुछ नागरिकों को भी लाये हैं जो अभी की स्थिति में भारत आना चाहते थे । हमने ई वीजा नीति के माध्यम से कई समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया । इसलिए कुल मिलाकर सरकार जल्द से जल्द पूरी तरह से लोगों की वापसी सुनिश्चित करने को प्रतिबद्ध है।’’

अफगानिस्तान की स्थिति को लेकर विदेश मंत्री ने कहा कि इस मोर्चे पर अभी कई तरह की गतिविधियां की जानी हैं लेकिन अभी की स्थिति में ध्यान लोगों को वापस लाने पर है और सरकार अपने लोगों की वापसी सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही है।

सर्वदलीय बैठक को लेकर जयशंकर ने ट्वीट किया, ‘‘अफगानिस्तान की स्थिति को लेकर सभी राजनीतिक दलों के सदन के नेताओं को जानकारी दी गयी और 31 दलों के 37 नेताओं ने इसमें हिस्सा लिया। सभी को धन्यवाद ।’’

विदेश मंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान के लोगों के साथ भारत की घनिष्ठ मित्रता वहां 500 से अधिक परियोजनाओं से प्रदर्शित होती है और ‘‘हमारी मित्रता भारत की मार्गदर्शक होगी ।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ हमने कठिन परिस्थितियों में वहां से बाहर निकालने का अभियान चलाया है, खासकर हवाई अड्डे की स्थिति को देखते हुए । ’’

सूत्रों ने बताया कि जयशंकर ने राजनीतिक दलों के सदन के नेताओं को भारत द्वारा एहतियात के तौर पर उठाये गए कदमों की जानकारी दी जिसमें पिछले वर्ष हेरात और जलालाबाद में वाणिज्य दूतावास से अस्थायी तौर पर भारतीय कर्मियों को निकालने और इस वर्ष जून में काबुल में भारतीय दूतावास में कर्मियों की संख्या कम करना शामिल हैं ।

वहीं, जयशंकर ने कंधार में 10-11 जुलाई को भारतीय वाणिज्य दूतावास से भारतीय कर्मचारियों को निकालने तथा मजार ए शरीफ से 10-11 अगस्त को कर्मियों की वापसी का उल्लेख भी किया । उन्होंने इस संबंध में समय समय पर जारी परामर्शों का भी जिक्र किया जिसमें भारतीय नागरिकों से उस देश को छोड़ने की अपील की गई थी ।

उन्होंने कहा कि भारत की प्रथमिकता भारतीय नागरिकों को बाहर निकालने, राजनयिक कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा पड़ोस प्रथम नीति के तहत संकट में पड़े अफगानिस्तान के नागरिकों की मदद करना रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने स्थिति को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समन्वय एवं मानवीय प्रयास किये । भारतीय कूटनीति एवं हितों को अन्य देशों ने स्वीकार किया ।’’

विदेश मंत्री ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल ही में रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन, जर्मन चांसलर एंजेला मार्केल से चर्चा का उल्लेख किया । उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में ऐसे और संवाद होंगे ।

जयशंकर ने इस संबंध में अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विशेष सत्र और जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की बैठक की भारत द्वारा अध्यक्षता का भी उल्लेख किया ।

सूत्रों ने बताया कि काबुल से लोगों को बाहर निकालने को लेकर उत्पन्न चुनौतियों के बारे में जयशंकर ने काबुल के भीतर और हवाई अड्डे के पास गोलीबारी की घटना, कई स्थानों पर विभिन्न गुटों द्वारा चौकियां स्थापित करने का भी जिक्र किया ।

सूत्रों ने बताया कि विदेश मंत्री ने मंत्रालय द्वारा स्थापित 24 घंटे संचालित विशेष अफगानिस्तान प्रकोष्ठ का भी उल्लेख किया ।

उन्होंने बताया कि अफगानिस्तान से बाहर निकालने के संबंध में स्थापित इस प्रकोष्ठ में विदेश मंत्रालय के 20 से अधिक अधिकारी लगे हैं। उन्होंने कहा कि अब तक 3014 फोन कॉल प्राप्त हुए हैं और 7826 व्हाट्सएप संदेशों का जवाब दिया गया है।

उल्लेखनीय है कि तालिबान नेताओं और अमेरिका के बीच फरवरी 2020 में हुए दोहा समझौते में धार्मिक स्वतंत्रता और लोकतंत्र को रेखांकित किया गया था । इसमें काबुल में एक ऐसी सरकार की बात कही गई थी जिसमें अफगानिस्तान के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व हो ।

समझा जाता है कि सर्वदलीय बैठक में राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने भी जानकारी साझा की। । श्रृंगला ने खासतौर पर भारतीय राजनयिक परिसरों पर हुए हमलों का उल्लेख किया । उन्होंने हेरात जलालाबाद, कंधारा और मजार ए शरीफ में भारतीय वाणिज्य दूतावासों पर हुए हमलों का भी उल्लेख किया ।

बाहर निकलने के अभियान के बारे में समझा जाता है कि श्रृंगला ने बताया कि भारतीय कर्मियों का दल काबुल हवाई अड्डे पर नाटो और अमेरिका के साथ हवाई अड्डे पर पहुंच को लेकर समन्वय कर रहा है।

वहीं, सर्वदलीय बैठक में विपक्षी दलों के नेताओं ने अफगानिस्तान से बाहर निकलने के मुद्दे को उठाया । उन्होंने अफगानिस्तान के नागरिकों की मदद और तालिबान के बारे में सरकार के रूख एवं सुरक्षा प्रभावों के संबंध में भी जानकारी मांगी ।

सर्वदलीय बैठक के बाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘बैठक में हमने महिला सांसद को वापस भेजने का मुद्दा उठाया। उन्होंने (जयशंकर ने) कहा कि यह एक गलती थी औेर भविष्य में ऐसा नहीं होगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘बैठक में कई मुद्दे उठाये गए और विदेश मंत्री ने उनका जवाब दिया। अब हमें देखना होगा कि इनमें से कितने का क्रियान्वयन होता है।’’ खड़गे ने कहा, ‘‘हम एकजुट होकर बात करना चाहते हैं। सभी दलों ने यही राय जाहिर की है।’’

खबरों के अनुसार, 20 अगस्त को दिल्ली हवाई अड्डे से महिला सांसद रंगीना करगर को वापस भेज दिया गया था ।

तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने कहा कि उनकी चिंता अफगानिस्तान से भारतीयों को वापस लाने को लेकर है।

पार्टी ने अफगानिस्तान की स्थिति को लेकर सरकार के निर्णय का समर्थन किया, साथ ही वहां फंसे पश्चिम बंगाल के 125 लोगों की सूची सौंपी । राय ने संवाददाताओं को बताया कि सरकार ने कहा है कि वह अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, सऊदी अरब, कतर सहित अन्य देशों के सम्पर्क है।

टीआरएस के नमा नागेश्वर राव और नेशनल कांफ्रेंस के हसनैन मसूदी ने काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद सुरक्षा हालात का मुद्दा उठाया । बैठक में सभी दलों के नेताओं ने स्पष्टीकारण पूछा और जयशंकर ने उन सभी को जवाब दिया।

आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन ने कहा कि यह संतोषजनक रहा और विदेश मंत्री ने सभी के सवालों का जवाब दिया ।

भाषा दीपक

दीपक पवनेश

पवनेश




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