नयी दिल्ली, सात अक्टूबर (भाषा) : भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि रूसी एस-400 वायु प्रतिरक्षा मिसाइल प्रणाली संबंधी सौदे को लेकर अमेरिका के साथ बातचीत जारी है। यह बात ऐसे समय में कही गई है जब एक दिन पहले ही अमेरिका की उप विदेश उप मंत्री वेंडी शेरमन ने भारत द्वारा रूस से एस-400 वायु प्रतिरक्षा मिसाइल प्रणाली खरीदे जाने को लेकर असहजता प्रकट की थी ।
इस बारे में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा, ‘‘ इस बारे में दोनों देशों के बीच पिछले कुछ समय के दौरान चर्चा हुई है। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘ यह विषय उठा और हमने इसके बारे में चर्चा की और अपना दृष्टिकोण स्पष्ट किया। इस बारे में चर्चा जारी है। ’’
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता भारत रूस सौदे के बारे में शेरमन की टिप्पणी को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे ।
भारत की तीन दिवसीय यात्रा पर आई अमेरिका की उप विदेश मंत्री वेंडी शेरमन ने बुधवार को उम्मीद जतायी कि रूस से नयी दिल्ली द्वारा एस-400 वायु प्रतिरक्षा मिसाइल प्रणाली खरीदने के मुद्दे पर अमेरिका और भारत मतभेद सुलझा लेंगे ।
शेरमन ने कुछ चुनिंदा संवाददाताओं से कहा था कि एस-400 सौदे को लेकर संभावित प्रतिबंध के बारे में कोई भी फैसला राष्ट्रपति जो बाइडेन और विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन लेंगे ।
अमेरिकी उप विदेश मंत्री शेरमन ने यह टिप्पणी इस बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में की थी।
गौरतलब है कि वायु सेना प्रमुख वी आर चौधरी ने मंगलवार को कहा था कि एस-400 मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणाली का पहला बैच इस साल भारत पहुंच जायेगा ।
वहीं, शेरमन ने कहा था, ‘‘ एस-400 का उपयोग करने वाले किसी देश के बारे में हमारा रुख सार्वजनिक है । हम समझते हैं कि यह खतरनाक है और किसी के सुरक्षा हित में नहीं है। हमारा भारत के साथ मजबूत गठजोड़ है। ’’
उन्होंने कहा था कि हम आगे के रास्तों को लेकर काफी विचार शील और दोनों देशों के बीच चर्चा से समस्या के समाधान का प्रयास करना चाहते हैं, मुझे उम्मीद है कि हम इसका समाधान करने में सक्षम रहेंगे।
उल्लेखनीय है कि अमेरिका काउंटरिंग अमेरिका एडवर्सरिज थ्रू सैंक्शन एक्ट (सीएएटीएसए) के जरिये रूस से एस-400 मिसाइल प्रतिरोधी प्रणाली खरीदने को लेकर तुर्की पर पहले ही प्रतिबंध लगा चुका है।
अक्टूबर 2018 में भारत ने रूस के साथ पांच यूनिट एस-400 वायु प्रतिरक्षा मिसाइल प्रणाली खरीदने के लिये 5 अरब डालर का सौदा किया था । यह सौदा ट्रंप प्रशासन की चेतावनी के बावजूद किया गया था जिसमें उसने सौदे पर आगे बढ़ने की स्थिति में अमेरिकी प्रतिबंध संबंधी चेतावनी दी थी । भारत ने साल 2019 में पहली खेप के लिये 80 करोड़ का भुगतान रूस को कर दिया था ।
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