नयी दिल्ली, 29 दिसंबर (भाषा) :रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को 351 उप-प्रणालियों और घटकों की एक नई सूची की घोषणा की, जिन्हें अगले साल दिसंबर से शुरू होने वाली विभिन्न समय सीमा के तहत आयात करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
यह पिछले 16 महीनों में मंत्रालय द्वारा जारी की गई तीसरी सूची है। यह कदम भारत को सैन्य प्लेटफार्मों और उपकरणों के निर्माण का केंद्र बनाने के सरकार के समग्र उद्देश्य के हिस्से के रूप में उठाया जा रहा है।
मंत्रालय ने 2,500 वस्तुओं की भी एक सूची जारी की, जिनके बारे में कहा गया है कि वे पहले ही ‘स्वदेशी’ हो चुकी हैं।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “रक्षा उत्पादन विभाग, रक्षा मंत्रालय द्वारा उप-प्रणालियों/संयोजनों/उप-संयोजनों/घटकों की एक सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची को रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने और रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा आयात को कम करने के प्रयासों के तहत अधिसूचित किया गया है।”
उसने कहा कि, “351 आयातित सामग्रियों” को अगले तीन वर्षों में ‘‘स्वदेशी” बना लिया जाएगा। नई सूची पर अधिसूचना सोमवार को जारी की गई।
मंत्रालय ने कहा कि सूची में उल्लेखित विभिन्न सामग्री निर्धारित समय-सीमा के अनुसार भारतीय उद्योगों से ही खरीदी जा सकेगी।
अधिसूचना के अनुसार, 172 वस्तुओं के पहले जत्थे पर आयात प्रतिबंध अगले साल दिसंबर तक लागू हो जाएगा, जबकि यही प्रावधान 89 घटकों के दूसरी खेप पर दिसंबर 2023 तक लागू होंगे। 90 वस्तुओं की एक और खेप पर आयात प्रतिबंध दिसंबर 2024 से प्रभावी होगा।
वस्तुओं में लेजर चेतावनी सेंसर, उच्च दबाव जांच वाल्व, उच्च दबाव ग्लोब वाल्व, जल निकासी अतिक्रमण का पता लगाने प्रणाली, विभिन्न प्रकार के केबल, सॉकेट और वोल्टेज नियंत्रण ऑस्किलेटर शामिल थे।
भारत दुनिया भर में हथियारों के सबसे बड़े आयातकों में से एक है। सरकार अब आयातित सैन्य प्लेटफार्मों पर निर्भरता कम करना चाहती है और उसने घरेलू रक्षा निर्माण का समर्थन करने का फैसला किया है।
रक्षा मंत्रालय ने अगले पांच वर्ष में रक्षा निर्माण में 25 अरब डॉलर (1.75 लाख करोड़ रुपये) के कारोबार का लक्ष्य रखा है, जिसमें 5 अरब डॉलर (35,000 करोड़ रुपये) के सैन्य हार्डवेयर का निर्यात लक्ष्य शामिल है।
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