नयी दिल्ली, नौ सितंबर (भाषा) : ब्रिक्स देशों ने बृहस्पतिवार को उल्लेख किया कि कोरोना वायरस की उत्पत्ति के अध्ययन में सहयोग कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई का एक महत्वपूर्ण पहलू है। उन्होंने राजनीतिकरण या हस्तक्षेप से मुक्त विज्ञान आधारित प्रक्रियाओं और नए रोगाणु के उद्भव के बारे में बेहतर समझ के लिए अंतरराष्ट्रीय क्षमताओं को मजबूत करने के प्रति समर्थन व्यक्त किया।
शिखर सम्मेलन के बाद अंगीकार की गई दिल्ली घोषणा में ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के नेताओं ने विश्व व्यापार संगठन में कोविड-19 टीका बौद्धिक संपदा अधिकार संबंधी छूट पर चल रही चर्चाओं का भी उल्लेख किया। अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने इसके लिए प्रस्ताव पर जोर दिया।
संबंधित प्रस्ताव दक्षिण अफ्रीका और भारत द्वारा प्रस्तुत किया गया था।
ब्रिक्स ने इस बात पर जोर दिया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) सहित मौजूदा अंतरराष्ट्रीय ढांचे के भीतर साझेदारी की सच्ची भावना से कोविड-19 महामारी के खिलाफ मिलकर काम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सामूहिक जिम्मेदारी है।
घोषणा में कहा गया, ‘हम उल्लेख करते हैं कि सार्स-कोव-2 (कोरोना वायरस) की उत्पत्ति के अध्ययन पर सहयोग कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई का एक महत्वपूर्ण पहलू है। हम नए रोगाणु के उद्भव के बारे में बेहतर समझ के वास्ते अंतरराष्ट्रीय क्षमताओं को मजबूत करने के लिए विज्ञान-आधारित, व्यापक विशेषज्ञता, पारदर्शी और समयबद्ध प्रक्रियाओं का समर्थन करते हैं जो राजनीतिकरण से मुक्त हो।’’
यह घोषणा डब्ल्यूएचओ-चीन की एक संयुक्त टीम द्वारा वुहान की यात्रा करने और विभिन्न स्थानों का दौरा करने के लिए वहां चार सप्ताह बिताने के महीनों बाद आई है।
मार्च में, डब्ल्यूएचओ वायरस की उत्पत्ति पर एक रिपोर्ट लेकर आया था, लेकिन यह अमेरिका और कई अन्य प्रमुख देशों की अपेक्षाओं को पूरा करने में विफल रहा था।
चीन डब्ल्यूएचओ विशेषज्ञों की दूसरी जांच को रोक रहा है और इस बात पर जोर दे रहा है कि इस तरह की जांच में यह देखा जाना चाहिए कि वायरस एक ही समय में दुनिया के विभिन्न हिस्सों में उभरा, जबकि बीजिंग ने तो इसकी जानकारी सबसे पहले दी थी।
उल्लेखनीय है कि नया कोरोना वायरस पहली बार 2019 के अंत में मध्य चीनी शहर वुहान में पाया गया था।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित वर्चुअल ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीनी राष्ट्रपति शी चिनपिंग, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा और ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सनारो ने भाग लिया।
शिखर सम्मेलन के अंत में जारी एक घोषणा में, समूह ने महामारी से लड़ने के लिए टीकों की वहनीयता और पहुंच के महत्व पर भी जोर दिया और इस बात को स्वीकार किया कि एक परस्पर एवं वैश्वीकृत दुनिया में, कोई भी तब तक सुरक्षित नहीं है जब तक कि सभी सुरक्षित न हों।
विदेश मंत्रालय के सचिव संजय भट्टाचार्य ने एक ऑनलाइन ब्रीफिंग में कहा कि नेताओं ने व्यापक टीकाकरण और टीकों के विकास की आवश्यकता के बारे में बात की। उन्होंने रेखांकित किया कि अन्य सदस्य देशों ने टीकों के वितरण में भारत की भूमिका की सराहना की।
ब्रिक्स देशों ने विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय यात्रा के उद्देश्य के लिए टीकाकरण के राष्ट्रीय दस्तावेजों की पारस्परिक मान्यता पर अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के महत्व पर जोर दिया।
समूह ने कहा, ‘यह स्वीकार करते हुए कि कोविड-19 रोधी टीकों के उत्पादन ने महामारी पर विजय प्राप्त करने की सबसे बड़ी आशा प्रदान की है और साथ ही हमें विशेष रूप से दुनिया, खासकर गरीब और अत्यधिक संवेदनशील आबादी के लिए टीकों, निदान और चिकित्सा विज्ञान तक पहुंच में स्पष्ट असमानता पर खेद है।’’
घोषणा में कहा गया, ‘हम राजनीतिक समर्थन और आवश्यक वित्तीय संसाधनों के माध्यम से महामारी एवं अन्य वर्तमान तथा भविष्य की स्वास्थ्य चुनौतियों से लड़ने के लिए बेहतर अंतरराष्ट्रीय तैयारियों और सहयोग को बढ़ाने का आह्वान करते हैं।’
सदस्य देशों ने ब्रिक्स डिजिटल स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन आयोजित करने के लिए भारत को बधाई दी और इसके परिणामों का स्वागत किया।
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