नयी दिल्ली, चार नवंबर (भाषा) : संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की एक रिपोर्ट में बृहस्पतिवार को कहा गया कि अगर वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक भी सीमित रखा जाता है तो भी जलवायु संबंधी कई खतरे ज्यों के त्यों और अपरिवर्तनीय बने रहेंगे।
रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि जलवायु अनुकूलन की लागत और वर्तमान वित्तीय प्रवाह के बीच खाई चौड़ी होती जा रही है।
यूएनईपी ने ग्लासगो में जारी ‘सीओपी26’ शिखर सम्मेलन के दौरान ‘ अनुकूल अंतराल रिपोर्ट 2021: बड़ा होता तूफान’ जारी की है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘ग्लोबल वार्मिंग’ वर्तमान में 1.1 डिग्री सेल्सियस है और दुनिया ने 2021 में जलवायु संबंधी तबाही देखी है जो यूरोप और चीन में बाढ़ की शक्ल में आई, जबकि उत्तर पश्चिम प्रशांत में लू चली, यूनान के जंगलों में आग लगी और भारत में बाढ़ आई और मानसून अस्थिर रहा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुकूलन की लागत सिर्फ विकासशील देशों के लिए 2030 तक अनुमानित तौर पर 140-300 अरब डॉलर और 2050 तक 280-500 अरब डॉलर प्रति वर्ष हो सकती है।
यूएनईपी के कार्यकारी निदेशक इंगर एंडरसन ने कहा, “ अगर हम आज ही ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन पूरी तरह से बंद कर दें, तो भी जलवायु परिवर्तन का प्रभाव हम पर दशकों तक रहेगा।”
*************************
हम आपको दुनिया भर से बेहतरीन लेख और अपडेट मुहैया कराने के लिए चौबीस घंटे काम करते हैं। आप निर्बाध पढ़ सकें, यह सुनिश्चित करने के लिए पूरी टीम अथक प्रयास करती है। लेकिन इन सब पर पैसा खर्च होता है। कृपया हमारा समर्थन करें ताकि हम वही करते रहें जो हम सबसे अच्छा करते हैं। पढ़ने का आनंद लें
सहयोग करें
POST COMMENTS (0)