वॉशिंगटन, सात अक्टूबर (एपी) : सीआईए ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह चीन पर शीर्ष स्तरीय कार्यकारी समूह का गठन करेगी ताकि बीजिंग के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला किया जा सके।
सीआईए द्वारा संचालित करीब एक दर्जन मिशन केंद्रों में यह भी समूह होगा जिसमें चीन के प्रति रणनीति को लेकर हर हफ्ते निदेशक स्तर की बैठक होगी।
सीआईए ने घोषणा की कि वह चीनी भाषा बोलने वाले लोगों को भर्ती करने का प्रयास तेज करेगी और एक अन्य मिशन केंद्र का निर्माण करेगी जो उभरती प्रौद्योगिकी एवं जलवायु परिवर्तन तथा वैश्विक स्वास्थ्य जैसे वैश्विक मुद्दों पर केंद्रित होगा।
राष्ट्रपति जो बाइडन का प्रशासन मानता है कि कई सुरक्षा एवं आर्थिक मुद्दों पर चीन की आक्रामकता बढ़ रही है, जबकि वह जलवायु परिवर्तन और परमाणु हथियारों से उत्तर कोरिया के लैस होने जैसे मुद्दों पर सबको साथ लेकर चलना चाहता है।
चीन विशेष तौर पर अमेरिका के खुफिया समुदाय के लिए कड़ी चुनौती है क्योंकि चीन के पास बड़ी सैन्य एवं सुरक्षा सेवा है और उन्नत प्रौद्योगिकी है जो इसकी जासूसी का मुकाबला करने में सक्षम है।
सीआईए के निदेशक विलियम बर्न्स ने बृहस्पतिवार को बयान जारी कर चीन की सरकार को ‘‘21वीं सदी में सबसे बड़ा भूराजनीतिक खतरा’’ करार दिया।
बर्न्स ने कहा, ‘‘पूरे इतिहास में सीआईए ने हर चुनौती का मुकाबला किया और अब हम सबसे कठिन भूराजनीतिक परीक्षण का सामना कर रहे हैं।’’
एजेंसी के पुनर्गठन के तहत सीआईए ईरान और उत्तर कोरिया पर मिशन के केंद्रों को वर्तमान केंद्रों में समाहित करेगा। अलग-अलग देश के लिए मिशन केंद्र राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शासन के दौरान बनाया गया था।
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