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बांग्लादेश में चीनी निवेश भारतीय संबंधों के लिए चिंता का विषय नहीं :शहरयार


मंगल, 14 दिसम्बर 2021   |   2 मिनट में पढ़ें

कोलकाता, 14 दिसंबर (भाषा): बांग्लादेश के विदेश राज्य मंत्री मोहम्मद शहरयार आलम ने कहा है कि उनके देश में चीन का निवेश चिंता का विषय नहीं होना चाहिए क्योंकि वक्त की कसौटी पर खरा उतरे भारत-बांग्लादेश संबंधों की तुलना कोई अन्य देश नहीं कर सकता है तथा भविष्य में यह संबंध और मजबूत होगा।

आलम ने कहा कि शेख मुजीबुर रहमान की हत्या के लिए जिम्मेदार रहे और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की जान लेने की कोशिश करने वाली ताकतों ने भारत के खिलाफ जहर उगला, लेकिन अब वे कमजोर हो गये हैं तथा लोगों के बीच अपनी विश्वसनीयता व स्वीकार्यता को खो दिया है।

मंत्री ने पीटीआई-भाषा के साथ एक साक्षात्कार में इस बात की संभावना से इनकार नहीं किया कि उनके देश में भारत विरोधी भावनाओं को हवा देने में पाकिस्तान की संलिप्तता है, लेकिन उन्होंने किसी निष्कर्ष पर पहुचंने से इनकार कर दिया क्योंकि वह नहीं चाहते हैं कि भारत-पाकिस्तान द्विपक्षीय मुद्दों के लिए बांग्लादेश एक संभावित छद्म मैदान बने।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत के साथ हमारे संबंध की तुलना (किसी अन्य देश से) नहीं की जा सकती है। चिंता करने की कोई बात नहीं है। भारत सरकार इस बात को बखूबी समझती है। ’’

आलम ने कहा, ‘‘बेशक, चीन ने कई क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। यदि आप विश्व व्यापार पर नजर डालें, तो पाएंगे कि जिन देशों के चीन के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध नहीं हैं, वे उसके सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार हैं। वे बांग्लादेश के लिए भी व्यापारिक साझेदार हैं। वे निजी व सार्वजनिक क्षेत्रों के लिए शानदार कारोबारी प्रस्ताव लेकर आते हैं।’’

मंत्री ने कहा कि उनके देश में बढ़ते चीनी निवेश के बारे में काफी गलत धारणा है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार स्थिति को समझती है।

उन्होंने कहा, ‘‘किसी ने मुझसे पूछा कि क्या हम चीनी निवेश से पदमा सेतु बना रहे हैं। यह पूरी तरह से गलत है। चीन का एक पैसा भी इस्तेमाल नहीं किया गया है। पुल का निर्माण एक चीनी अनुबंधकर्ता कर रहा है, जो एक व्यक्तिगत पक्ष है। उसकी सरकार इसमें शामिल नहीं है।’’

उन्होंने पश्चिम बंगाल की अपनी हालिया यात्रा के दौरान कहा, ‘‘चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की पिछली यात्रा के दौरान कई सारी परियोजनाओं पर चर्चा हुई थी, लेकिन उनमें से आधे पर भी आगे नहीं बढ़ा गया है। यहां तक कि हमसे अधिक भारत चीनियों के साथ परियोजनाओं पर सहमत हुआ है। ’’

आलम ने कहा कि यह दुभाग्यपूर्ण है कि बांग्लादेश में एक वर्ग भारत विरोधी भावनाओं को हवा दे रहा है, जबकि इस पड़ोसी देश ने 1971 के मुक्ति संग्राम में एक अहम भूमिका निभाई थी। हालांकि, उन्होंने दावा किया कि वे ताकतें अब कमजोर हो गई हैं।

यह पूछे जाने पर कि क्या बांग्लादेश में इस तरह की भारत विरोधी भावनाओं को हवा देने में पाकिस्तान की कोई भूमिका है, आलम ने कोई सीधा जवाब देने से मना कर दिया, लेकिन कहा कि वह संभावनाओं से इनकार नहीं करते।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं निष्कर्ष पर नहीं पहुंचना चाहता लेकिन इस तरह की संभावनाओं से भी इनकार नहीं करता। ’’

आलम ने कहा कि क्षेत्रीय शांति के लिए चरमपंथ के खिलाफ लड़ाई और गरीबी उन्मूलन जैसे मुद्दे भारत व बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय संबंध में सर्वोच्च महत्व के हैं।

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