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चीन वर्तमान मुद्दों का संतोषप्रद समाधान निकालने के लिये काम करेगा : विदेश सचिव


शुक्र, 22 अक्टूबर 2021   |   3 मिनट में पढ़ें

नयी दिल्ली, 21 अक्तूबर (भाषा) : विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने भारत और चीन के मिलकर काम करने के लिये सीमा क्षेत्रों में अमन एवं शांति को ‘अनिवार्य शर्त’ करार दिया। श्रृंगला ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत को उम्मीद है कि चीन वर्तमान मुद्दों के संतोषप्रद समाधान के लिये काम करेगा तथा एक दूसरे की संवेदनशीलताओं एवं हितों को ध्यान में रखेगा ।

विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने आज ‘चीन की अर्थव्यवस्था का लाभ’ विषय पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलओसी) के घटनाक्रमों से सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन एवं शांति ‘गंभीर रूप से प्रभावित’ हुई है और इससे व्यापक संबंधों पर भी प्रभाव पड़ा है।

श्रृंगला ने विदेश मंत्री एस जयशंकर की टिप्पणियों का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत और चीन के मिलकर काम करने की क्षमता एशियाई शताब्दी का निर्धारण करेगी ।

उन्होंने कहा कि इसे साकार करने के लिये सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन एवं शांति अनिवार्य शर्त है।

विदेश सचिव ने कहा, ‘‘ उन्होंने (जयशंकर) स्पष्ट रूप से कहा था कि हमारे संबंधों का विकास आपसी सम्मान, आपसी संवेदनशीलता और आपसी हितों पर आधारित होना चाहिए । ’’

उन्होंने कहा, ‘‘ हम उम्मीद करते हैं कि चीनी पक्ष इस पर काम करेगा और वर्तमान मुद्दों के संतोषप्रद समाधान के लिये काम करेगा ताकि एक दूसरे की संवेदनशीलता, आकांक्षाओं और हितों को ध्यान में रखते हुए द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति हो सके । ’’

गौरतलब है कि भारत और चीनी सेना के बीच पूर्वी लद्दाख में पिछले वर्ष 5 मई को हिंसक झड़प हो गई थी और इसके बाद धीरे धीरे तनाव काफी बढ़ गया तथा दोनों पक्षों ने बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती की है। इसको लेकर दोनों पक्षों के बीच राजनयिक एवं सैन्य कमांडर स्तर की कई बैठकें हो चुकी हैं ।

श्रृंगला ने भारत चीन कारोबारी संबंधों से जुड़े मुद्दे पर भी चिंता व्यक्त की जिसमें बढ़ते व्यापार असंतुलन और कारोबारी बाधाओं का मुद्दा शामिल है।

उन्होंने कहा, ‘‘ चीन हमार सबसे बड़ा पड़ोसी है । 14.7 ट्रिलियन डालर सकल घरेलू उत्पाद के साथ चीन की अर्थव्यवस्था दुनिया में दूसरी सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। कोविड-19 महामारी के बीच भी चीन एकमात्र प्रमुख अर्थव्यस्था रही जिसने 2020 में सकारात्मक वृद्धि दर्ज की ।’’

उन्होंने कहा कि विश्व कारोबार में सबसे बड़ा योगदान देने वाले और हमारे सबसे बड़े कारोबारी सहयोगी होने के कारण चीन की अर्थव्यस्था के बारे में बेहतर समझ होना जरूरी है।

उन्होंने कहा कि 1988 में दोनों देशों के बीच सम्पर्क बहाल होने के बाद से ही हम सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रहे हैं तथा हमने व्यापक द्विपक्षीय संबंध स्थापित किये हैं ।

उन्होंने कहा, ‘‘ हमारे सहयोग का दायरा द्विपक्षीय स्तर तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसके क्षेत्रीय एवं वैश्विक आयाम हैं । ’’

श्रृंगला ने कहा कि भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार सदी के अंत में तेजी से बढ़ा है तथा पिछले साल दोनों देशों के बीच कुल व्यापार लगभग 88 बिलियन अमेरिकी डॉलर था ।

उन्होंने कहा कि इस साल के पहले 9 महीनों में हमारा द्विपक्षीय व्यापार 90 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 49 फीसदी अधिक है।

विदेश सचिव ने कहा कि इस रफ्तार से हम दो देशों के बीच अब तक का सबसे अधिक द्विपक्षीय व्यापार की संभावना रखते हैं। हालांकि, ये व्यापार चीन के पक्ष में असंतुलित रहता है।

उन्होंने कहा कि हमारे व्यापार घाटे की चिंताएं दोगुनी हैं। पहला है घाटे का वास्तविक आकार। 9 महीने की अवधि के लिए व्यापार घाटा 47 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा।

उन्होंने कहा कि यह किसी भी देश के साथ हमारा सबसे बड़ा व्यापार घाटा है। दूसरा तथ्य यह है कि असंतुलन लगातार बढ़ रहा है और इसके साथ ही कई तरह की कारोबारी बाधाएं भी हैं ।

श्रृंगला ने कहा, ‘‘भले ही हम चीन के सामने इन मुद्दों को रख रहे हैं, पर हमें भी अपने देश में इस पर काम करने की जरूरत है। इसीलिए, आत्मनिर्भर भारत न केवल अपनी मदद करने में बल्कि अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में एक ताकत के रूप में उभरने के मद्देनजर महत्वपूर्ण हो जाता है। ’’

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