बीजिंग, 15 नवंबर (भाषा) : चीन ने जीवाश्म ईंधनों का उपयोग ‘‘चरणबद्ध तरीके से बंद करने के बजाय, इसके उपयोग को चरणबद्ध तरीके से कम करने’’ के भारत के सुझाव का सोमवार को समर्थन करते हुए विकसित देशों से पहले कोयले का उपयोग बंद करने और हरित प्रौद्योगिकी अपनाने के लिए विकासशील देशों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने को कहा।
जीवाश्म ईंधनों का उपयोग ‘‘चरणबद्ध तरीके से बंद करने के बजाय, इसके उपयोग को चरणबद्ध तरीके से कम करने’’ के भारत के सुझाव को महत्व देते हुए ग्लासगो में सीओपी26 शिखर सम्मेलन में लगभग 200 देश शनिवार को एक जलवायु समझौते के लिए तैयार हुए थे।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा, ” कम कार्बन की तरफ बढ़ना एक प्रमुख चलन है और इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सभी देश काम कर रहे हैं।”
झाओ, सीओपी26 के अध्यक्ष आलोक शर्मा की उन कथित टिप्पणियों से जुड़े सवाल का जवाब दे रहे कि चीन और भारत को विकासशील देशों को यह समझाने की जरूरत है कि सम्मेलन में कोयले को खत्म करने के प्रयासों की समझौते की भाषा में कुछ बदलावों से इसके उपयोग की प्रतिबद्धता पर पानी फिर गया।
झाओ ने कहा, ” ऊर्जा संरचना में सुधार और कार्बन खपत के अनुपात में कमी एक प्रगतिशील प्रक्रिया है, जिसमें विभिन्न देशों की राष्ट्रीय परिस्थितियों और उनके विकास के चरण के साथ-साथ उनके विभिन्न संसाधनों को सम्मान दिये जाने की आवश्यकता है।”
उन्होंने कहा, ” इसलिए, सबसे पहले हमें ऊर्जा के इस अंतर पर ध्यान दिये जाने और विकासशील देशों के लिए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित किये जाने की आवश्यकता है। हम पहले विकसित देशों के कोयले का उपयोग बंद करने के साथ ही उम्मीद करते हैं कि वे विकासशील देशों को प्रौद्येागिकी उपलब्ध कराने के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध करांएगे।”
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