बीजिंग, आठ अक्टूबर (एपी) : दक्षिण चीन सागर में अमेरिका की एक परमाणु पनडुब्बी के टकराने की घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए चीन ने शुक्रवार को मांग की कि वाशिंगटन घटना का ब्योरा दे और बताए कि दुर्घटना किस जगह हुई। बीजिंग ने आरोप लगाया कि ‘‘नौवहन की स्वतंत्रता’’ के नाम पर हवाई और नौसैन्य अभियान चलाने की अमेरिका की जिद इस घटना की वजह है।
अमेरिकी नौसेना के प्रशांत बेड़े ने बृहस्पतिवार को एक बयान में कहा कि गत शनिवार को दक्षिण चीन सागर (एससीएस) में उसकी परमाणु ऊर्जा चालित एक पनडुब्बी पानी के भीतर किसी चीज से टकरा गई।
बयान में कहा गया कि ‘यूएसएस कनेक्टिकट’ नाम की इस पनडुब्बी में सवार कुछ नौसैनिक दुर्घटना की वजह से घायल हो गए, लेकिन किसी को भी ज्यादा गंभीर चोट नहीं आई।
यह स्पष्ट नहीं है कि पनडुब्बी किस चीज से टकराई।
अमेरिकी नौसेना ने बयान में कहा, ‘‘पनडुब्बी सुरक्षित और स्थिर स्थिति में है। यूएसएस कनेक्टिकट का परमाणु प्रणोदन संयंत्र प्रभावित नहीं हुआ और यह पूरी तरह परिचालन में है।’’
घटना से संबंधित एक सवाल के जवाब में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजान ने मीडिया से यहां कहा, ‘‘चीन इस हादसे को लेकर गंभीर रूप से चिंतित है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिका को हादसे के स्थान, नौवहन के उद्देश्य सहित घटना का ब्योरा देना चाहिए और बताना चाहिए कि कहीं कोई परमाणु रिसाव तो नहीं हुआ है और स्थानीय समुद्री पर्यावरण को कोई खतरा तो नहीं है।’’
लिजान ने यह भी कहा कि ‘‘नौवहन की स्वतंत्रता’’ के नाम पर हवाई और नौसैन्य अभियान चलाने की अमेरिका की जिद इस घटना की वजह है।
उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिका इस दुर्घटना के विवरण का खुलासा करने में विलंब कर रहा है। वह पारदर्शिता और जिम्मेदारी रहित व्यवहार कर रहा है।’’
उल्लेखनीय है कि चीन अधिकांश दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है। वहीं, फिलीपीन, वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान भी इस पर अपना दावा करते हैं। पिछले कुछ वर्षों में चीन ने इस समुद्री क्षेत्र में कई सैन्य अड्डे स्थापित किए हैं और अपने नौसैन्य पोतों तथा पनडुब्बियों का एक बड़ा बेड़ा तैनात किया है।
घटना का जिक्र करते हुए चीन ने यह भी कहा कि ऑस्ट्रेलिया को परमाणु पनडुब्बी बेचने का अमेरिका का निर्णय क्षेत्र में परमाणु खतरे को बढ़ाएगा।
ताइवान के सैनिकों को अमेरिकी सैनिकों द्वारा प्रशिक्षण दिए जाने की खबरों पर चीन ने अमेरिका से यह भी कहा कि उसे ताइवान से अपने रक्षा संबंध खत्म करने चाहिए।
चीन ताइवान को अलग हुआ अपना हिस्सा बताता है, जबकि ताइवान खुद को एक संप्रभु देश कहता है।
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