ग्लास्गो, एक नवंबर (एपी) : अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ अपनी त्वरित और ठोस लड़ाई का विस्तार अमेरिकी कांग्रेस से लेकर दुनिया तक करने का प्रयास किया और संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन में वैश्विक नेताओं से जलवायु परिवर्तन पर रोक के लिए जरूरी उपाय करने की अपील की ।
उन्होंने कहा कि वह खुद भी अमेरिका में इस विषय पर हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।
स्कॉटलैंड के ग्लास्गो में शुरू हुए जलवायु शिखर सम्मेलन में विश्व नेताओं को संबोधित करते हुए बाइडन ने पुराने प्रशासन के जलवायु प्रयासों को पूरा करने और नई जलवायु पहलों की घोषणा की जिसमें पहले से जलवायु को हो रहे नुकसान से निपटने के लिए अरबों डॉलर की मदद और विदेशों में गरीब समुदायों की मदद शामिल हैं।
ग्लास्गो शिखर सम्मेलन को अक्सर ऐतिहासिक 2015 पेरिस जलवायु समझौते को अमल में लाने के लिए आवश्यक माना जाता है, लेकिन बाइडन और उनके प्रशासन को अमेरिका और अन्य देशों को जलवायु को लेकर तेजी से कार्य करने के लिए प्रेरित करने में बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
शिखर सम्मेलन के लिए बाइडन प्रशासन ने यह समझाने के लिए कड़ी मेहनत की है कि 100 से अधिक विश्व नेताओं को शामिल करने वाली दो सप्ताह की बातचीत से जलवायु के प्रति हानिकारक उत्सर्जन में कटौती करने में बड़ी सफलता मिलेगी।
बाइडन के जलवायु दूत, जॉन केरी ने रविवार को संवाददाताओं से कहा कि एक तुरत फुरत उपाय के बजाय, ग्लास्गो इस दशक की दौड़ की शुरुआत है।’’
अमेरिका अब भी दुनिया के कुछ सबसे बड़े जलवायु प्रदूषकों – चीन, रूस और भारत- को अपने एवं सहयोगियों के कार्बन उर्त्सजन के प्रयासों में साथ ले पाने में असफल रहा है, जिससे कि इन देशों को कोयले, गैस और तेल जैसे ईंधन के इस्तेमाल में कटौती करके स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ने के दृढ़ संकल्प में शामिल किया जा सके।
केरी ने रविवार को ही रोम में समाप्त हुए 20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के समूह के शिखर सम्मेलन के परिणाम का बचाव किया। जी-20 बैठक ग्लास्गो में अधिक जलवायु प्रगति के लिए गति पैदा करने वाली थी, और इटली शिखर सम्मेलन में नेताओं ने कई उपायों पर सहमति भी व्यक्त की थी, जिसमें जलवायु को बुरी तरह प्रभावित करने वाले कोयला आधारित बिजली संयंत्रों को अंतरराष्ट्रीय सब्सिडी में कटौती का संकल्प शामिल है।
लेकिन चीन और रूस सहित प्रमुख प्रदूषक देशों ने स्पष्ट कर दिया है कि 2050 तक सभी जीवाश्म ईंधन प्रदूषण को समाप्त करने के लिए अमेरिका और उसके यूरोपीय एवं एशियाई सहयोगियों का अनुसरण करने का उनका कोई तत्काल इरादा नहीं है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग को पेरिस जलवायु समझौते में निर्धारित सीमा पर या उससे कम रखने के लिए जीवाश्म ईंधन प्रदूषण में भारी कटौती आवश्यक है।
विशेषज्ञों का कहना है कि वर्तमान में ग्लोबल वार्मिंग एक ऐसे स्तर की ओर बढ़ रही है जहां पृथ्वी की अधिकांश बर्फ पिघलेगी और दुनिया में समुद्र का जल स्तर बढ़ेगा, जिससे मौसम में बदलाव आने की आशंका है।
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