नयी दिल्ली, छह दिसंबर (भाषा) : बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने सोमवार को कहा कि भारत-बांग्लादेश संबंध केवल संधियों और समझौतों तक ही सीमित नहीं है। हसीना ने कहा कि दोनों देशों के बीच साझेदारी परिपक्व हो गई है और एक गतिशील, व्यापक एवं रणनीतिक आकार ले रही है।
भारत-बांग्लादेश राजनयिक संबंधों की 50वीं वर्षगांठ पर ‘मैत्री दिवस’ पर यहां आयोजित एक कार्यक्रम में हसीना ने एक ऑनलाइन संदेश में यह भी कहा कि द्विपक्षीय संबंधों का मूल लोगों के बीच संपर्क, व्यापार एवं संपर्क पर ध्यान केंद्रित करना जरूरी बनाता है जो दोनों पक्षों के लिए तेजी से महत्वपूर्ण बन रहा है।
हसीना ने कहा, ‘‘हमारी साझेदारी संधियों, सहमतिपत्रों, द्विपक्षीय समझौतों तक ही सीमित नहीं है जो हमारे कामकाजी संबंधों की औपचारिक संरचना प्रदान करते हैं। आज हमारी शानदार साझेदारी परिपक्व हो गई है तथा एक गतिशील, व्यापक और रणनीतिक आकार ले रही है। यह संप्रभुता, समानता, विश्वास और परस्पर सम्मान पर आधारित है।’’
उन्होंने कहा कि भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध इतिहास, संस्कृति, भाषा तथा धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र और अनगिनत अन्य सामंजस्य के साझा मूल्यों पर आधारित है। उन्होंने कहा, ‘‘हाल के वर्षों में नियमित रूप से उच्च स्तरीय राजनीतिक संवाद और आदान-प्रदान के कारण मित्रता का हमारे संबंध और मजबूत, विविध और विस्तारित हुआ है।’’
हसीना ने कहा कि कोविड के कारण प्रतिबंधों के बावजूद, सभी स्तरों पर बांग्लादेश-भारत संबंध स्थिर और मजबूत रहा है जो महामारी से निपटने में ‘उत्कृष्ट’ द्विपक्षीय सहयोग से प्रतिबिंबित होता है।
हसीना ने कहा, ‘‘हम अपने संबंधों के महत्व में विश्वास करना जारी रखे हुए हैं, साथ ही यह वर्षगांठ हमारे द्विपक्षीय संबंधों के आधार और आगे की राह पर जोर देने का एक अवसर है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह बांग्लादेश और भारत के बीच लंबे समय से जारी गतिशील साझेदारी को और मजबूत करने की दिशा में काम करने के वास्ते खुद को फिर से प्रतिबद्ध करने का एक अवसर भी है। मुझे विश्वास है कि साथ मिलकर, दोनों देश और इसके लोग, दशकों तक हमारी दृष्टि और विचारों को वास्तविकता में तब्दील करना जारी रखेंगे।’’
हसीना ने कहा कि बांग्लादेश और भारत द्वारा राजनयिक संबंधों की स्थापना की स्वर्ण जयंती मनाना हमारे द्विपक्षीय संबंधों की यात्रा में मील का पत्थर है। उन्होंने याद किया कि 26-27 मार्च, 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बांग्लादेश की राजकीय यात्रा के दौरान, दोनों पक्ष 6 दिसंबर को ‘मैत्री दिवस’ के तौर पर मनाने तथा संयुक्त समारोह ढाका और नयी दिल्ली के साथ 18 चयनित शहरों में आयोजित करने पर सहमत हुए थे।
उन्होंने बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए भारतीय सशस्त्र बलों के सदस्यों और भारतीयों के बलिदान को ‘कृतज्ञता’ के साथ याद किया। उन्होंने अपने संदेश में, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनकी सरकार, अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं एवं पूरे भारत के लोगों की ‘उदारता’ को भी याद किया।
भारत, बांग्लादेश के साथ द्विपक्षीय राजनयिक संबंध स्थापित करने वाले पहले देशों में से एक था। बांग्लादेश की आजादी से दस दिन पहले भारत ने 6 दिसंबर 1971 को इसे मान्यता दी थी।
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