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ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन के साथ ऑकस गठबंधन किसी देश के खिलाफ नहीं: व्हाइट हाउस


शुक्र, 17 सितम्बर 2021   |   3 मिनट में पढ़ें

वाशिंगटन, 17 सितंबर (भाषा) : व्हाइट हाउस ने नए त्रिपक्षीय सुरक्षा गठबंधन ‘ऑकस’ को लेकर चीन द्वारा की जा रही आलोचना के बीच कहा है कि इस गठबंधन का संबंध किसी एक देश से नहीं है, बल्कि इसका मकसद अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के रणनीतिक हितों को आगे बढ़ाना तथा हिंद-प्रशांत में शांति एवं स्थिरता को प्रोत्साहित करते हुए नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बरकरार रखना है।

व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने बृहस्पतिवार को अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘कल जिस साझेदारी की घोषणा की गई, वह किसी एक देश के लिए नहीं है। इसका मकसद हमारे रणनीतिक हितों, अमेरिका के रणनीतिक हितों को प्रोत्साहित करना, नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बरकरार रखना और हिंद-प्रशांत में शांति एवं स्थिरता को बढ़ावा देना है।’’

साकी ने गठबंधन को लेकर चीन की नाराजगी भरी प्रतिक्रिया को लेकर किए गए सवाल के जवाब में यह कहा। ब्रिटेन, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने हिंद प्रशांत में चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच, रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र के लिए एक नए त्रिपक्षीय सुरक्षा गठबंधन ‘ऑकस’ (एयूकेयूएस) की घोषणा की है, ताकि वे अपने साझा हितों की रक्षा कर सकें और परमाणु ऊर्जा से संचालित पनडुब्बियां हासिल करने में ऑस्ट्रेलिया की मदद करने समेत रक्षा क्षमताओं को बेहतर तरीके से साझा कर सकें। इस महत्वाकांक्षी सुरक्षा पहल की घोषणा अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने एक संयुक्त बयान में की। बयान में उन्होंने कहा कि इस पहल से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा और उनके साझा मूल्यों एवं हितों को सहयोग मिलेगा।

चीन ने त्रिपक्षीय सैन्य साझेदारी की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि वह इस समझौते पर करीबी नजर रखेगा, जो क्षेत्रीय स्थिरता को काफी कमजोर कर देगा और हथियारों की होड़ बढ़ाएगा तथा परमाणु अप्रसार की अंतरराष्ट्रीय कोशिशों को नुकसान पहुंचाएगा।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा, ‘‘अमेरिका, ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बियों में सहयोग कर रहे हैं जो क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता को काफी कमजोर कर देगा, हथियारों की होड़ बढ़ा देगा और परमाणु अप्रसार की अंतरराष्ट्रीय कोशिशों को नुकसान पहुंचाएगा।’’

फ्रांस और यूरोपीय संघ ने भी इस गठबंधन को लेकर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए शिकायत की है कि उन्हें इस गठबंधन से न केवल बाहर रखा गया, बल्कि उनके साथ विचार-विमर्श भी नहीं किया गया।

फ्रांस के विदेश मंत्री ज्यां इव लि द्रीयां ने कहा, ‘‘यह वास्तव में पीठ में एक छुरा घोंपना है। यह ट्रंप के कदमों की तरह ही प्रतीत होता है।’’

व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने इस तुलना को अनुचित बताया।

फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया के बीच डीजल पनडुब्बियों के निर्माण के लिए करीब 100 अरब डॉलर का सौदा हुआ था। नई ऑकस पहल की शर्तों के तहत ऑस्ट्रेलिया के लिए डीजल पनडुब्बियों के निर्माण का यह सौदा समाप्त हो जाएगा, जिससे फ्रांस नाखुश है।

वाशिंगटन में अधिकारियों ने ऑस्ट्रेलिया को परमाणु ऊर्जा से संचालित पनडुब्बियां मुहैया कराने के इस रक्षा सौदे का बचाव किया है। साकी ने कहा, ‘‘मैं यह कहना चाहती हूं कि अमेरिका की तरह ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया का भी नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था बनाए रखने का लंबा इतिहास रहा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद हैं कि सुरक्षित, स्थिर एवं शांतिपूर्ण हिंद-प्रशांत के लिए क्षेत्रीय समर्थकों के साथ मिलकर लगातार काम करने वाले तीनों देश अब यह काम साथ मिलकर करेंगे। क्योंकि इसका संबंध चीन से है, हम पीसीआर (चीनी जनवादी गणराज्य) के साथ कड़ी प्रतिस्पर्धा का स्वागत करते हैं।’’

साकी ने कहा, ‘‘हम संघर्ष नहीं चाहते। अमेरिका के राष्ट्रपति (जो बाइडन) ने कुछ दिन पहले ही चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से बात की थी और हम नेताओं के बीच उच्च स्तरीय मुक्त वार्ता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’

बीजिंग दक्षिण चीन सागर के लगभग 13 लाख वर्ग मील के भूभाग को अपना क्षेत्र मानता है। चीन क्षेत्र में कृत्रिम द्वीपों पर सैन्य शिविर बना रहा है। इस क्षेत्र पर ब्रुनेई, मलेशिया, फिलिपीन, ताईवान और वियतनाम भी दावा करते हैं।

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POST COMMENTS (1)

Harshvardhan Shekhawat

सितम्बर 18, 2021
Quad ko tyag ke aukus banana white supremacy ko darshata hai. Ho na ho andar se yahi baat niklegi ke udhar se taliban ka khatra paida karo aur idhar quad ki suraksha hataa lo fir Bharat ki ahmiyat khatam. usa ne kabhi Bharat ko apna ally nahi banaya bas upar upar se dikhawa karta hai kyunki Bharat ka utthan seedhe seedhe unke military industrial complex ko nuksan karega ismein koi do raye nahin hai. Iss samay sirf ek hi aurat jo pichhli baar Presidential race mein bhi thi usne iss complex ke bare mein mudda uthaya tha naam hai Tulsi Gabbard. Agle election tak Tulsi jeet gayi to bahut bahut abhar Bhagwan ka nahin to lambe samay tak Bharat ko asthayi karta rahega usa

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