जैसलमेर/जोधपुर, 27 सितंबर (भाषा) : उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने सोमवार को कहा कि देश की सेनाएं सूचना और साइबर युद्ध जैसे नए क्षेत्रों में भी बढ़त बनाए रखने के लिए तैयार रहें। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सेनाओं ने देश की संप्रभुता को चुनौती देने वाली हर ताकत को मुंह तोड़ जवाब दिया है।
नायडू ने सीमावर्ती जैसलमेर में भारतीय सेना के अधिकारियों और जवानों से मुलाकात के दौरान यह बात कही।
आधिकारिक बयान के अनुसार, इस दौरान नायडू ने कहा, ‘‘देश के आसपास की ‘भू- राजनीतिक’ स्थिति तेजी से अनिश्चितता में बदल रही है और हम अंदर तथा बाहर दोनों तरफ से प्रकट और छद्म खतरों का सामना कर रहे हैं।’’
उन्होंने सशस्त्र बलों से कहा कि वे न केवल पारंपरिक युद्ध की तैयारी में अपनी बढ़त बनाए रखें, बल्कि युद्ध के नए क्षेत्रों जैसे सूचना और साइबर क्षेत्र में भी अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए तैयार रहें तथा युद्ध क्षेत्र में रोबोटिक्स एवं ड्रोन के बढ़ते प्रयोग के लिए भी तैयारी करें।
उपराष्ट्रपति ने शांति को विकास के लिए आवश्यक शर्त बताया और कहा, ‘‘हमारी सेनाओं पर देश की सीमाओं पर और देश के अंदर भी, शांति और स्थिरता बनाए रखने की महती जिम्मेदारी है।’’
भारतीय सेना के शौर्य की प्रशंसा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘देश की संप्रभुता को चुनौती देने वाली किसी भी ताकत को हमारी सेनाओं ने मुंहतोड़ जवाब दिया है।’’
उपराष्ट्रपति राजस्थान की पांच दिवसीय यात्रा पर हैं। आज उन्होंने जैसलमेर युद्ध संग्रहालय देखा, जहां उनका स्वागत मेजर जनरल अजीत सिंह गहलोत ने किया।
उपराष्ट्रपति ने थार रेगिस्तान की गर्म और कठिन परिस्थितियों में भी देश की सीमाओं की सुरक्षा करने के लिए भारतीय सेना की सराहना की। उन्होंने सैनिकों से कहा कि देश आश्वस्त रहता है कि दुश्मन के किसी भी दुस्साहस का भारतीय सेना द्वारा मुंह तोड़ जवाब दिया जाएगा।
जम्मू कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि अनुच्छेद 370, जो वैसे भी एक अस्थायी प्रावधान ही था, उसे समाप्त करके भारतीय संसद ने जम्मू कश्मीर की जनता और शेष भारत के बीच एक बड़ी बाधा को दूर कर दिया है।
स्वर्ण नगरी जैसलमेर की अपनी यात्रा पर हर्ष जताते हुए नायडू ने कहा कि यह शहर अपनी समृद्ध संस्कृति और सैन्य विरासतों के लिए प्रसिद्ध है। एक दिन पहले लोंगेवाला युद्ध स्थल की अपनी यात्रा को अविस्मरणीय बताते हुए नायडू ने कहा कि लोंगेवाला के ऐतिहासिक युद्ध में मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी और उनके साथी सैनिकों के शौर्य की प्रेरक गाथा सुनकर उनको भारतीय सेना पर बहुत गर्व होता है।
उन्होंने युवा पीढ़ी से आह्वान किया कि वह उस स्थान को जाकर अवश्य देखे कि किन कठिन परिस्थितियों में बहादुर सैनिक देश की सीमाओं की रक्षा करते हैं।
वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध में भारत की निर्णायक विजय के ‘स्वर्णिम विजय वर्ष’ के अवसर पर उपराष्ट्रपति ने सभी सैनिकों को बधाई दी और क्षेत्र में तैनात सभी रैंकों के सैनिकों को उनकी सफलता के लिए शुभकामनाएं दीं।
बाद में, एक फेसबुक पोस्ट में नायडू ने लोगों से निकटस्थ युद्ध संग्रहालय जाकर इसे देखने का आग्रह किया। अपनी यात्रा के दौरान नायडू ने स्मारक पर पुष्प चढ़ाकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की और अपने पोस्ट में लिखा, ‘ जब जब देश की संप्रभुता की रक्षा और देश की सुरक्षा की बात उठती है, हमारी सशस्त्र सेनाओं ने बार-बार अपना और अपनी शक्ति का लोहा मनवाया है।’
सीमा पर स्थित जैसलमेर की अपनी यात्रा के दौरान उपराष्ट्रपति ने आज सीमा सुरक्षा बल की टुकड़ी के मुख्यालय में आयोजित सैनिक सम्मेलन को संबोधित किया और क्षेत्र में तैनात बीएसएफ के सैनिकों से बातचीत की। उन्होंने दुर्गम इलाकों में भी देश की सीमाओं की रक्षा में तत्पर बीएसएफ के सैनिकों की सराहना की।
उपराष्ट्रपति के आगमन पर, राजस्थान में बीएसएफ के महानिरीक्षक पंकज घूमर तथा उपमहानिरीक्षक अरूण कुमार सिंह ने उनका स्वागत किया तथा क्षेत्र में बीएसएफ की भूमिका के विषय में उपराष्ट्रपति को अवगत कराया।
बीएसएफ के उच्च स्तर के प्रशिक्षण, अनुशासन और शानदार परंपराओं की सराहना करते हुए, उपराष्ट्रपति ने नक्सलवादी और आतंकवादी हिंसा जैसे आंतरिक सुरक्षा के खतरों की रोकथाम में बीएसएफ की सफल भूमिका की प्रशंसा की।
उन्होंने कहा कि अतिवादी हिंसा पर नियंत्रण करते समय, इन तत्वों द्वारा उकसाने पर भी आपने नियमों की सीमा में रहकर ही अपने कर्तव्यों का पालन किया है।
सीमा पर बढ़ते खतरों की चर्चा करते हुए नायडू ने कहा कि सीमा पार से आतंकवाद, नशीले पदार्थों की तस्करी, भारत विरोधी गतिविधियों को जो प्रोत्साहन और प्रश्रय कुछ पड़ोसियों द्वारा दिया जाता रहा है, देश को उससे निरापद करने के लिए भारतीय सुरक्षाबलों का चौकन्ना रहना आवश्यक है। उन्होंने शत्रु के ड्रोन जैसे बढ़ते खतरों का कारगर निराकरण करने के लिए बीएसएफ की सराहना की। उन्होंने सीमा सुरक्षा बल से अपेक्षा की कि वह आधुनिकतम प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी जवानों का प्रशिक्षण बढ़ाएगा।
नायडू ने जवानों को आश्वस्त किया कि सरकार उनके लिए सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है, जिसके लिए सुदूर सीमा क्षेत्रों में सड़कों और संचार की कनेक्टिविटी का विस्तार किया जा रहा है और उसमें सुधार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दूरस्थ इलाकों में बिजली पहुंचाई जा रही है और इन उपायों से जवानों को अपने परिवारों के साथ संपर्क करने में सुविधा होगी।
उन्होंने सुरक्षा बलों में महिलाओं की बढ़ती संख्या पर संतोष जताया। उन्होंने कहा कि सरकार महिलाओं को सशस्त्र बलों में शामिल करने को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रही है।
इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने लोंगेवाला युद्ध में भाग लेने वाले सैनिक भैरों सिंह को सम्मानित किया।
जैसलमेर में अपने दो दिवसीय दौरे के दौरान सेना और सीमा सुरक्षा बल के सैनिकों से भेंट करने के बाद, उपराष्ट्रपति सोमवार को जोधपुर पहुंचे। वहां उन्होंने ‘विश्व पर्यटन दिवस’ के अवसर पर, जोधपुर के ऐतिहासिक मेहरानगढ़ किले को देखा। नायडू ने किले को राजस्थान की शान का स्वर्णिम प्रतीक बताया।
इस अवसर पर राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र तथा राज्य सरकार में मंत्री डा. बुलाकी दास कल्ला भी उनके साथ रहे।
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