बीजिंग, 16 सितंबर (भाषा) : चीन ने बृहस्पतिवार को अमेरिका, ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया की त्रिपक्षीय सैन्य साझेदारी की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि वह इस समझौते पर करीबी नजर रखेगा, जो क्षेत्रीय स्थिरता को काफी कमजोर कर देगा और हथियारों की होड़ बढ़ाएगा तथा परमाणु अप्रसार की अंतरराष्ट्रीय कोशिशों को नुकसान पहुंचाएगा।
दरअसल, इस समझौते के तहत आस्ट्रेलिया को परमाणु ऊर्जा से चालित पनडुब्बियों का निर्माण करने में सहायता दी जाएगी।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान की यह टिप्पणी हिंद-प्रशांत के लिए अमेरिका, ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया के एक नया त्रिपक्षीय सुरक्षा गठजोड़ की घोषणा करने के बाद आई है।
इस सुरक्षा गठजोड़ का उद्देश्य 21 वीं सदी के खतरों से निपटने, आस्ट्रेलिया को परमाणु ऊर्जा से चालित पनडुब्बियां हासिल करने में मदद करने सहित रक्षा क्षमताओं को व्यापक रूप से साझा करने की अनुमति देना है।
इस ऐतिहासिक समझौते को चीन की बढ़ती शक्ति और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र में उसकी सैन्य उपस्थिति को रोकने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
समझौते के तहत आस्ट्रेलिया को पहली बार, अमेरिकी प्रौद्योगिकी के जरिए पनडुब्बियों का निर्माण करने में सहायता दी जाएगी।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता, साइबर और क्वांटम प्रौद्योगिकी भी इस समझौते के दायरे में आता है जिसे एयूकेयूएस के नाम से जाना जा रहा है।
त्रिपक्षीय रक्षा समझौते पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने को कहे जाने पर झाओ ने कहा, ‘‘अमेरिका, ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बियों में सहयोग कर रहे हैं जो क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता को काफी कमजोर कर देगा, हथियारों की होड़ बढ़ा देगा और परमाणु अप्रसार की अंतरराष्ट्रीय कोशिशों को नुकसान पहुंचाएगा। ’’
दिलचस्प है कि 24 सितंबर को वाशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की मेजबानी में ‘क्वाड’ नेताओं की एक बैठक से हफ्ते भर पहले एयूकेयूएस की घोषणा की गई। क्वाड, चार देशों-भारत, आस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका-का एक समूह है।
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