• 27 April, 2024
Geopolitics & National Security
MENU

भारत में रहने वाले अफगान नागरिकों के लिए घर वहीं है, जहां तालिबान नहीं है


बुध, 18 अगस्त 2021   |   2 मिनट में पढ़ें

(नितिन रावत)

नयी दिल्ली, 17 अगस्त (भाषा) अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा काबुल और अन्य स्थानों पर कब्जा किये जाने के बाद भारत में रह रहे अफगान नागरिकों में चिंता की लहर दौड़ गई है। ये सभी अफगानिस्तान में अपने दोस्तों और परिवार की सुरक्षा को लेकर खौफजदा है।

अपने देश के हालत के प्रति भयभीत और निराश छात्र, कामकाजी लोग और बेरोजगार अफगान नागरिकों ने भी यहां मंगलवार को अफगानिस्तान के दूतावास पर आकर यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया कि उन्हें अपनी जन्मस्थान लौटना न पड़े।

मोहम्मद जावीद (26) भी उनमें से एक है जो छह साल पहले पढ़ाई के लिए भारत आया था। अब वह चाहता है कि उसे अपने देश वापस न लौटना पड़े। जावीद ने कहा, “मेरा सपना था कि यहां पढ़ाई पूरी करने के बाद अफगानिस्तान के विकास के लिए काम करूंगा लेकिन अब मेरा भविष्य अनिश्चित है क्योंकि मुझे लगता है कि तालिबान को मेरे जैसे शिक्षित लोगों की जरूरत नहीं है।”

जावीद अभी दिल्ली के लाजपत नगर में रहता है और उसने बेंगलुरु से बीबीए की पढ़ाई की है तथा दयानन्द विश्वविद्यालय में एमबीए में दाखिला लिया है। उसने कहा कि उसका वीजा पांच अगस्त को समाप्त हो गया था इसलिए वह इसके विस्तार के लिए दूतावास गया था।

जावीद की तरह खैरुल्ला नूरी के ऊपर भी अफगानिस्तान वापस भेजे जाने की तलवार लटक रही है। नूरी 25 साल की है और अहमदाबाद में 2018 से अपने परिवार के साथ रह रही है। वह दूतावास में अपने पासपोर्ट के नवीकरण और वीजा जिसकी अवधि 29 अगस्त को समाप्त हो रही है, के लिए आई थी।

उसने कहा, “मेरे पासपोर्ट की वैधता समाप्त हो चुकी है और मैंने एक नए पासपोर्ट के लिए अपॉइंटमेंट लिया है। हम वापस अफगानिस्तान नहीं जाना चाहते। काबुल में हमारे रिश्तेदार हैं और वर्तमान हालत से बेहद डरे हुए हैं।”

नूरी इस समय गुजरात विश्वविद्यालय से बीबीए कर रही है। इसी तरह यहां ईस्ट कैलाश में रहने वाले अब्दुल फतह और हामिद अजिमी के लिए विदेशी धरती पर गरीबी का जीवन अपने देश में बंधक के तौर पर जीने से बेहतर है।

अफगानिस्तान में वर्तमान परिस्थितियों पर 32 साल के मोहम्मद ने कहा कि उसके देश में हालात और बिगड़ने वाले हैं।

उसने कहा, “सब कुछ प्रतिबंधित है, बैंक बंद हैं और आप एक पैसा नहीं निकाल सकते। मेरी बहन कैंसर की मरीज है जिसे पैसों की जरूरत है लेकिन वह बैंक नहीं जा सकती और दुर्भाग्य से उसका पति भी देश से बाहर है।”

भाषा यश पवनेश

पवनेशafghan in india




चाणक्य फोरम आपके लिए प्रस्तुत है। हमारे चैनल से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें (@ChanakyaForum) और नई सूचनाओं और लेखों से अपडेट रहें।

जरूरी

हम आपको दुनिया भर से बेहतरीन लेख और अपडेट मुहैया कराने के लिए चौबीस घंटे काम करते हैं। आप निर्बाध पढ़ सकें, यह सुनिश्चित करने के लिए पूरी टीम अथक प्रयास करती है। लेकिन इन सब पर पैसा खर्च होता है। कृपया हमारा समर्थन करें ताकि हम वही करते रहें जो हम सबसे अच्छा करते हैं। पढ़ने का आनंद लें

सहयोग करें
Or
9289230333
Or

POST COMMENTS (1)

xyz

अगस्त 18, 2021
Why they are leaving. They have every right to wear burqa, they can do Namaz everywhere park, roads, office wherever they want...they have more security..they can go outside on the road in the middle of the night nobody can robbbbbbb them...you know...they don't have to pay interest...they will get sharia...perfect Islamic world....isn't it what they want?? No country should take them...they will go west and Europe and India like democratic countries and start conflicting with them for Islamic life and laws...they should stay in their own world the one they have created for themselves..otherwise one day there will be a time when there will be no place on earth to take refuge bcoz they will create same kind of chaotic world all over the globe...read sushmita benargee's books....ye log yahan per Indians ko aur unke bacchon ko hi nishana banayenge...Afghanistan aise hi nahi Haara hai ye log lade hi nahi.....Indians ne invation ke baad india chhod to nahi diya hum lade aur Akhri saans tak ladenge...

Leave a Comment

प्रदर्शित लेख