नयी दिल्ली, 28 अगस्त (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को अफगानिस्तान के ताजा हालात को मुश्किल और चुनौतीपूर्ण करार देते हुए कहा कि वहां फंसे लोगों को सुरक्षित वापस लाने के लिए जी-जान से प्रयास किये जा रहे हैं।
जलियांवाला बाग के पुनर्निर्मित परिसर का वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जिस प्रकार की वैश्विक परिस्थितियां बन रही हैं, उससे ‘‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’’ के संकल्प के मायनों का भी एहसास होता है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह घटनाएं हमें याद दिलाती हैं कि राष्ट्र के रूप में हर स्तर पर आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास दोनों जरूरी है।’’
गुरबाणी की कुछ पंक्तियों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह हमें सिखाती है कि सुख दूसरों की सेवा से ही आता है और हम सुखी तभी होते हैं जब हम अपने साथ-साथ अपनों की पीड़ा को भी अनुभव करते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए दुनिया भर में कहीं भी, कोई भी भारतीय अगर संकट में घिरता है तो भारत पूरे सामर्थ्य से उसकी मदद के लिए खड़ा हो जाता है। कोरोना काल हो या फिर अफगानिस्तान का वर्तमान संकट। दुनिया ने इसे निरंतर अनुभव किया है।’’
ऑपरेशन देवी शक्ति के तहत अफगानिस्तान से भारत लाए जा रहे लोगों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘चुनौतियां बहुत हैं, हालात मुश्किल हैं लेकिन गुरु कृपा भी हम पर बनी हुई है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम लोगों के साथ पवित्र गुरु ग्रंथ साहब के स्वरूप को भी सिर पर रखकर भारत लाए हैं।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों (अफगानिस्तान की) से सताए हुए अपने लोगों के लिए देश में नए कानून भी बनाए गए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘आज जिस प्रकार की वैश्विक परिस्थितियां बन रही है, उससे हमें यह एहसास भी होता है कि एक भारत श्रेष्ठ भारत के क्या मायने होते हैं। यह घटनाएं हमें याद दिलाती है कि राष्ट्र के रूप में हर स्तर पर आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास दोनों जरूरी है।’’
आजादी के 75 वर्ष के अवसर पर मनाए जा रहे अमृत महोत्सव का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने आह्वान किया, ‘‘हम अपने राष्ट्र की बुनियाद को मजबूत करें और उस पर गर्व करें। आजादी का अमृत महोत्सव आज इसी संकल्प को लेकर आगे बढ़ रहा है।’’
इससे पहले, प्रधानमंत्री ने अमृतसर में जलियांवाला बाग स्मारक स्थल पर विकसित कुछ संग्रहालय दीर्घाओं का भी उद्घाटन किया। लंबे समय से बेकार पड़ी और कम उपयोग वाली इमारतों का दोबारा अनुकूल इस्तेमाल सुनिश्चित करते हुए चार संग्रहालय दीर्घाएं निर्मित की गई हैं।
प्रधानमंत्री कार्यालय के मुताबिक यह दीर्घाएं उस अवधि के दौरान पंजाब में घटित विभिन्न घटनाओं के विशेष ऐतिहासिक महत्व को दर्शाती हैं। इन घटनाओं को दिखाने के लिए श्रव्य-दृश्य प्रौद्योगिकी के माध्यम से प्रस्तुति की व्यवस्था है जिसमें मैपिंग और थ्री डी चित्रण के साथ-साथ कला एवं मूर्तिकला अधिष्ठापन भी शामिल हैं।
पीएमओ के अनुसार जालियांवाला बाग में 13 अप्रैल, 1919 को घटित विभिन्न घटनाओं को दर्शाने के लिए एक साउंड एंड लाइट शो की व्यवस्था की गई है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के 75वें वर्ष में जलियांवाला बाग के आधुनिक स्वरूप का मिलना सभी के लिए बहुत प्रेरणा का अवसर है।
उन्होंने कहा, ‘‘आज जो पुनर्निर्माण का कार्य हुआ है, उसने बलिदान की अमर गाथा को और जीवंत बना दिया है। जलियांवाला बाग का यह नया स्वरूप देशवासियों को इस पवित्र स्थान के इतिहास के बारे में, इसके अतीत के बारे में बहुत कुछ जानने के लिए प्रेरित करेगा। यह स्थान नयी पीढ़ी को हमेशा याद दिलाएगा कि हमारी आजादी की यात्रा कैसी रही और यहां तक पहुंचने के लिए हमारे पूर्वजों ने क्या-क्या किया है। कितने त्याग और बलिदान दिए और अनगिनत संघर्ष किए।’’
उन्होंने कहा कि राष्ट्र के प्रति हमारे कर्तव्य क्या होने चाहिए और कैसे हमें अपने हर काम में देश को सर्वोपरि रखना चाहिए, इसकी भी प्रेरणा और नई ऊर्जा इस स्थान से मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर भारत विभाजन का भी उल्लेख किया और उसे एक विभीषिका बताते हुए उसकी तुलना जलियांवाला बाग हत्याकांड से की।
उन्होंने कहा, ‘‘पंजाब के परिश्रमी और जिंदादिल लोग भी विभाजन के बहुत बड़े भुक्तभोगी रहे। विभाजन के समय जो कुछ हुआ, उसकी पीड़ा आज भी हिंदुस्तान के हर कोने में और विशेषकर पंजाब के परिवारों में हम अनुभव करते हैं।’’
उन्होंने कहा कि किसी भी देश के लिए अपने अतीत की ऐसी विभीषिकाओं को नजरअंदाज करना सही नहीं है, इसलिए भारत ने 14 अगस्त को हर वर्ष विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया है।
इस कार्यक्रम में केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी, कई केंद्रीय मंत्री, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह सहित हरियाणा, उत्तराखंड एवं हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री भी शामिल हुए।
भाषा ब्रजेन्द्र
ब्रजेन्द्र पवनेश
पवनेश
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