(योषिता सिंह)
संयुक्त राष्ट्र, 16 अगस्त (भाषा) अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अफगानिस्तान ”कभी भी” फिर से आतंकवाद का अड्डा न बने।
अमेरिका ने अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों और उस क्षेत्र के अन्य देशों से देश से भागे अफगानिस्तानियों को शरण देने का भी आग्रह किया।
राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़कर जाने के बाद तालिबान ने रविवार को काबुल पर कब्जा कर लिया। इसके साथ ही दो दशक तक चला वह अभियान भी समाप्त हो गया, जिसमें अमेरिका और उसके सहयोगियों ने अफगानिस्तान को बदलने की कोशिश की थी। पश्चिमी देशों द्वारा प्रशिक्षित बलों का या तो पतन हो गया है या फिर वे लड़ाई छोड़कर भाग गए हैं। यह सबकुछ इस महीने के अंत में अमेरिकी सैनिकों के अफगानिस्तान से पूरी तरह वापस लौटने से पहले हो रहा है।
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड्स ने सुरक्षा परिषद की बैठक में कहा, ”आज मैं फिर से जोर देकर यह बात कहती हूं और इस आह्वान को दोहराना चाहती हूं कि पत्रकारों और गैर-लड़ाकों सहित नागरिक आबादी को संरक्षित किया जाना चाहिए। नागरिकों या उनकी संपत्तियों पर हमले बंद होने चाहिए। सभी अफगान नागरिकों, विशेष रूप से महिलाओं, लड़कियों और अल्पसंख्यक समूहों के सदस्यों के मानवाधिकारों व मौलिक स्वतंत्रता का सम्मान किया जाना चाहिए।”
अफगानिस्तान मामले पर भारत की अध्यक्षता में सोमवार को आयोजित 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद की बैठक में उन्होंने यह बात कही।
उन्होंने कहा, ”हम सभी पक्षों से आतंकवाद को रोकने का भी आह्वान करते हैं और हम सभी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अफगानिस्तान कभी भी आतंकवाद का अड्डा न बने।”
उन्होंने कहा कि अमेरिका अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों, उस क्षेत्र के अन्य देशों और दुनिया के तमाम देशों से आग्रह करते हैं कि वे देश से भागे अफगानिस्तानियों को शरण प्रदान करें।
वहीं, संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि गुलाम इसाकजई ने सोमवार को कहा कि ”आरोप-प्रत्यारोप के लिये समय नहीं है” और शक्तिशाली सुरक्षा परिषद व संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस को ऐसे किसी भी प्रशासन को मान्यता नहीं देनी चाहिये, जो ताकत के जरिये स्थापित किया गया हो। उन्होंने युद्धग्रस्त अफगानिस्तान के हालात को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक में यह बात कही।
इसाकजई ने सुरक्षा परिषद से आग्रह किया कि वह एक सुर में यह बात कहे कि वह इस्लामी अमीरात के बहाल होने को मान्यता नहीं देगी।
भाषा जोहेब नरेश
नरेश
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