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भारत विरोधी गतिविधियों, आतंकवाद के लिए अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल न हो: भारत


बुध, 01 सितम्बर 2021   |   3 मिनट में पढ़ें

नयी दिल्ली, 31 अगस्त (भाषा) पहले औपचारिक और सार्वजनिक रूप से स्वीकृत संपर्क में कतर में भारतीय राजदूत दीपक मित्तल ने मंगलवार को तालिबान के वरिष्ठ नेता शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई से मुलाकात की। उन्होंने भारत की उन चिंताओं को उठाया कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल किसी भी तरह से भारत विरोधी गतिविधियों और आतंकवाद के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा कि चर्चा अफगानिस्तान में फंसे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और जल्द वापसी तथा अफगान नागरिकों, विशेष रूप से अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों की भारत यात्रा पर केंद्रित रही।

भारतीय राजदूत और तालिबान नेता के बीच बैठक दोहा स्थित भारतीय दूतावास में तालिबान के अनुरोध पर हुई।

मंत्रालय ने कहा कि तालिबान के प्रतिनिधि ने राजदूत को आश्वासन दिया कि ‘‘इन मुद्दों’’ पर सकारात्मक रूप से गौर किया जायेगा।

विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘आज कतर में भारत के राजदूत दीपक मित्तल ने दोहा में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई से मुलाकात की। बैठक दोहा स्थित भारतीय दूतावास में तालिबान के अनुरोध पर हुई।’’

इसमें कहा गया है कि अफगानिस्तान में फंसे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और उनकी जल्द वापसी और भारत आने की इच्छा रखने वाले अफगान नागरिकों, विशेष रूप से अल्पसंख्यकों की यात्रा पर भी चर्चा हुई। इसमें कहा गया है, ‘‘राजदूत मित्तल ने भारत की इस चिंता को उठाया कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल किसी भी तरह से भारत विरोधी गतिविधियों और आतंकवाद के लिए नहीं किया जाना चाहिए।’’

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची, पिछले कुछ महीनों में अपने साप्ताहिक संवाददाता सम्मेलन के दौरान भारत द्वारा तालिबान से संपर्क बनाये जाने की संभावना संबंधित सवालों के जवाब में कहते रहे हैं कि नयी दिल्ली सभी हितधारकों के संपर्क में है।

इस तरह की जानकारी है कि भारत ने तालिबान के साथ संवाद का एक जरिया बनाया था लेकिन इसे आधिकारिक तौर पर कभी स्वीकार नहीं किया गया था।

मित्तल और स्तानिकजई के बीच बैठक उस दिन हुई है जब अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपने सैनिकों की वापसी के अभियान को पूरा कर लिया है और देश में 20 साल के सैन्य अभियान को समाप्त कर दिया है।

स्तानिकजई ने शनिवार को एक स्पष्ट संदेश में, भारत को इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण देश के रूप में वर्णित किया था और कहा था कि तालिबान उसके साथ अफगानिस्तान के व्यापार, आर्थिक और राजनीतिक संबंधों को बनाए रखना चाहता है। उन्होंने कहा था, ‘‘हम भारत के साथ अपने व्यापार, आर्थिक और राजनीतिक संबंधों को बहुत महत्व देते हैं और उस संबंध को बनाए रखना चाहते हैं।’’

तालिबान नेता के हवाले से पाकिस्तानी मीडिया प्रतिष्ठान ‘इंडिपेंडेंट उर्दू’ ने अपनी खबर में कहा था, ‘‘हमें हवाई व्यापार को भी खुला रखने की जरूरत है।’’

वह भारत और अफगानिस्तान के बीच हवाई गलियारे का जिक्र कर रहे थे, जिसे पाकिस्तान द्वारा पारगमन पहुंच की अनुमति देने से इनकार के मद्देनजर दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया गया था।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 20 अगस्त को अपने कतर के समकक्ष शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल-थानी के साथ अमेरिका की चार दिवसीय यात्रा से स्वदेश लौटने के दौरान दोहा में एक ठहराव के दौरान अफगान संकट पर बातचीत की थी।

इस बीच, जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और कई अन्य वरिष्ठ अधिकारियों का एक उच्च-स्तरीय समूह अफगानिस्तान से अमेरिकी बलों की वापसी के बाद अफगानिस्तान में भारत की तत्काल प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर पिछले कुछ दिनों से समूह की नियमित बैठक हो रही है।

एक सूत्र ने कहा, ‘‘अफगानिस्तान में उभरती स्थिति के मद्देनजर, प्रधानमंत्री मोदी ने हाल में निर्देश दिया था कि विदेश मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और वरिष्ठ अधिकारियों के एक उच्च स्तरीय समूह को भारत की तत्काल प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।’’

भाषा

देवेंद्र माधव

माधव




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